क्या पुरानी गाड़ियों में बीएस6 मानक इंजन लगवाना प्रदूषण का समाधान हो सकता है?

Click to start listening
क्या पुरानी गाड़ियों में बीएस6 मानक इंजन लगवाना प्रदूषण का समाधान हो सकता है?

सारांश

क्या पुरानी गाड़ियों के इंजन में बीएस6 मानक लगवाने से दिल्ली के प्रदूषण की समस्या का समाधान हो सकता है? जानें ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर के विचार।

Key Takeaways

  • बीएस6 मानक इंजन पुरानी गाड़ियों के प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकता है।
  • दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
  • ट्रांसपोर्टर्स को सब्सिडी प्रदान करने से उन्हें बीएस6 इंजन लगाने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में भारत स्टेज 4 (बीएस4) वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने शनिवार को कहा कि पुरानी गाड़ियों के इंजन से निकलने वाला धुआं समस्या बन गया है। ऐसे में यदि सब्सिडी देकर बीएस6 मानक इंजन को लगाया जाए, तो ट्रांसपोर्टर्स शेष राशि स्वयं भरने के लिए तैयार हैं।

राजेंद्र कपूर ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "गाड़ियों की उम्र 15 साल होती है और जब रजिस्ट्रेशन के समय उस पर 15 साल का उल्लेख होता है तो उसे 15 साल तक चलने दिया जाना चाहिए।"

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि "दिल्ली में उन दिनों में जब प्रदूषण अधिक होता है, गाड़ियों को उसी समय बंद कर देना चाहिए।"

कपूर ने अपनी बात को मजबूत करते हुए बताया कि 1 नवंबर से दिल्ली सरकार बीएस4 वाले वाहनों को बंद करने जा रही है। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति 7 वर्षों तक अपनी गाड़ी का उपयोग करता है, तो वह उससे कुछ कमाई करने का सोचता है, लेकिन जब गाड़ी पुरानी होती है, तब उसमें लागत भी आती है। ऐसे में ट्रांसपोर्टर्स के लिए कुछ नहीं बचता। दिल्ली में गाड़ियों की उम्र 15 वर्ष की जगह 10 वर्ष करना उचित नहीं है, जबकि अन्य राज्यों में गाड़ियों की उम्र 15 वर्ष है।

कपूर ने उदाहरण देते हुए कहा, "यदि एक गाड़ी आज केरल से सामान लेकर दिल्ली आती है, तो उसे दिल्ली में प्रवेश नहीं मिलेगा क्योंकि अन्य राज्यों में चलने वाली गाड़ी पर दिल्ली में पाबंदी होगी। इससे लागत बढ़ेगा और दिल्ली का व्यापार ठप हो सकता है।"

बीएस4 वाहनों के लिए एक उत्सर्जन मानक है। यह मानक 1 अप्रैल, 2017 से भारत में लागू हुआ था, जिसका अर्थ है कि 1 अप्रैल, 2017 और बाद में निर्मित वाहनों को बीएस4 मानकों का पालन करना आवश्यक था। बीएस4 और बीएस6 में अंतर यह है कि बीएस6 इंजन बीएस4 की तुलना में कम प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। बीएस6 इंजन का उपयोग एक प्रभावकारी समाधान हो सकता है, जिससे प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इस प्रक्रिया में ट्रांसपोर्टर्स को उचित समर्थन मिले।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

बीएस6 मानक क्या है?
बीएस6 एक उत्सर्जन मानक है जो वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए लागू किया गया है।
पुरानी गाड़ियों में बीएस6 इंजन लगवाने से क्या लाभ होगा?
बीएस6 इंजन पुरानी गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करता है, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
क्या ट्रांसपोर्टर्स को सब्सिडी मिलेगी?
हाँ, राजेंद्र कपूर का सुझाव है कि अगर सब्सिडी दी जाए, तो ट्रांसपोर्टर्स बीएस6 इंजन लगवाने के लिए तैयार होंगे।