क्या जेन स्ट्रीट विवाद में राहुल गांधी ने सेबी की पारदर्शिता पर सवाल उठाए?

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क्या जेन स्ट्रीट विवाद में राहुल गांधी ने सेबी की पारदर्शिता पर सवाल उठाए?

सारांश

क्या जेन स्ट्रीट विवाद ने राहुल गांधी को सेबी की पारदर्शिता पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित किया? जानिए इस विवाद की गहराई और उसके पीछे की सच्चाइयाँ।

Key Takeaways

  • राहुल गांधी ने सेबी की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं।
  • जेन स्ट्रीट पर मैनिपुलेशन के आरोप लगे हैं।
  • छोटे निवेशकों की स्थिति को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
  • नए नियमों की आवश्यकता पर चर्चा चल रही है।
  • मोदी सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

नई दिल्ली, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। जेन स्ट्रीट पर गलत रणनीतियों के उपयोग से इंडेक्स ऑप्शंस में 43,000 करोड़ रुपए से अधिक का मुनाफा कमाने के लिए सेबी द्वारा लगाए गए आरोपों के बीच, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक नया पोस्ट साझा किया।

राहुल गांधी ने 24 सितंबर 2024 को एक्स हैंडल पर किए अपने पुराने पोस्ट को पुनः साझा करते हुए लिखा, "मैंने 2024 में स्पष्ट कहा था, फ्यूचर्स और ऑप्शंस बाजार 'बड़े खिलाड़ियों' का खेल बन चुका है और छोटे निवेशकों की जेब लगातार कट रही है।"

उन्होंने आगे लिखा कि अब सेबी खुद मान रहा है कि जेन स्ट्रीट ने हजारों करोड़ की मैनिपुलेशन की।

राहुल गांधी ने सेबी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि सेबी इतने समय तक चुप क्यों रहा और कितने बड़े शार्क अब भी रिटेल निवेशकों को शॉर्ट कर रहे हैं?

मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार अमीरों को और अमीर बना रही है और आम निवेशकों को बर्बादी की कगार पर धकेल रही है।

अपने पिछले पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा था कि अनियंत्रित एफएंडओ ट्रेडिंग 5 वर्षों में 45 गुना बढ़ गई है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 3 वर्षों में 90 प्रतिशत छोटे निवेशकों ने 1.8 लाख करोड़ रुपए गंवाए हैं। सेबी को लेकर उन्होंने कहा कि बाजार नियामक को बड़े खिलाड़ियों के नाम उजागर करने चाहिए, जो उनके खर्च पर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।

सेबी के अनुसार, जेन स्ट्रीट और इसकी संबंधित संस्थाओं ने बैंक निफ्टी सूचकांक को कृत्रिम तरीके से बढ़ाने और घटाने के लिए एक इंट्रा-डे ट्रेडिंग रणनीति विकसित की।

जेन स्ट्रीट मामले के सामने आने के बाद नए नियमों को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इस बीच, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने सोमवार को कहा कि हमें नए नियमों की नहीं, बल्कि अधिक प्रवर्तन और निगरानी की आवश्यकता है।

पांडे ने अपने बयान में कहा, "हेरफेर करने वाली प्रथाएं अलग-अलग खिलाड़ियों द्वारा विभिन्न तरीकों से की जा सकती हैं। इसलिए, ऐसा कोई एक विशेष तरीका नहीं है जिसमें आकलन करने की जरूरत है। हमारे नियमों के अनुसार पीएफयूटीपी नियमन बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हैं कि हेरफेर और धोखाधड़ी वाली प्रथाएं बाजार में अनुमति नहीं हैं। नियमों के भीतर, सेबी के पास जांच करने और इसे लागू करने की सभी शक्तियाँ हैं।"

Point of View

बल्कि सेबी की कार्यप्रणाली और मोदी सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठा रहा है। यह जरूरी है कि हम इस मुद्दे को गंभीरता से लें और सही जानकारी के साथ इस पर चर्चा करें।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

जेन स्ट्रीट विवाद क्या है?
जेन स्ट्रीट विवाद में सेबी द्वारा जेन स्ट्रीट पर मैनिपुलेशन के आरोप लगाए गए हैं, जिसमें यह कहा गया है कि उन्होंने इंडेक्स ऑप्शंस में 43,000 करोड़ रुपए से अधिक का लाभ कमाया।
राहुल गांधी का इस पर क्या कहना है?
राहुल गांधी ने सेबी की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि छोटे निवेशकों की जेब लगातार कट रही है।
सेबी का इस पर क्या बयान है?
सेबी का कहना है कि उसने जेन स्ट्रीट के खिलाफ उचित जांच की है और हेरफेर की प्रथाओं को रोकने के लिए सभी शक्तियाँ रखता है।
मोदी सरकार पर आरोप क्या हैं?
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार अमीरों को और अमीर बना रही है और आम निवेशकों की स्थिति खराब कर रही है।
क्या छोटे निवेशकों को नुकसान हो रहा है?
हां, राहुल गांधी ने कहा है कि पिछले 3 वर्षों में 90 प्रतिशत छोटे निवेशकों ने 1.8 लाख करोड़ रुपए गंवाए हैं।