क्या आरबीआई की ब्याज दर में कटौती से खपत और विकास को बढ़ावा मिलेगा?

Click to start listening
क्या आरबीआई की ब्याज दर में कटौती से खपत और विकास को बढ़ावा मिलेगा?

सारांश

आरबीआई की ब्याज दर में कटौती से उपभोग और विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है। जानिए बैंकर्स का क्या कहना है और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव कैसे पड़ सकता है।

Key Takeaways

  • रेपो रेट में कटौती का निर्णय कम महंगाई के कारण लिया गया।
  • उपभोग और विकास को काउंटर-साइक्लिकल बढ़ावा मिल सकता है।
  • चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.3% है।
  • मुद्रास्फीति की दर वर्ष के मध्य तक 4% के नीचे रहने की संभावना है।
  • अनुकूल व्यापार समझौतों की घोषणा से रेट कट साइकल का अंत हो सकता है।

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बैंकर्स ने शुक्रवार को बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कटौती का निर्णय, कम महंगाई से उत्पन्न हुए मॉनेटरी स्पेस का उपयोग करते हुए उपभोग को बढ़ावा देने और विकास चक्र को मजबूत करने के लिए किया गया है।

एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8 प्रतिशत से अधिक रहना, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के अनुरूप है। हालांकि, निर्यात पर बाहरी प्रतिकूल प्रभावों का खतरा अभी भी बना हुआ है।

उन्होंने यह भी कहा कि त्योहारी सीजन में उपभोग की स्थिरता अनिश्चित बनी हुई है, इसलिए ब्याज दरों में कटौती उपभोग और विकास को एक काउंटर-साइक्लिकल बढ़ावा देती है।

एचडीएफसी बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 27 के लिए 6.5 प्रतिशत रखा है। इसके अतिरिक्त, चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 27 के लिए 4 प्रतिशत लगाया गया है।

बैंक ने कहा है कि मुद्रास्फीति दर वर्ष के मध्य तक 4 प्रतिशत से नीचे रहने की संभावना है, जिससे आगामी तिमाहियों में वृद्धि दर में गिरावट आती है तो ब्याज दर में कटौती की संभावना बनी रहेगी।

उन्होंने आगे कहा कि यदि आर्थिक गति जारी रहती है और अनुकूल व्यापार समझौते घोषित होते हैं, तो यह रेट कट साइकल का अंत हो सकता है।

इंडसइंड बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ राजीव आनंद ने भी मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को दोहराते हुए कहा कि रेपो दर में कटौती ने नियम-आधारित मॉनेटरी फ्रेमवर्क को दोहराया है।

उन्होंने बताया, "बॉन्ड खरीद और एफएक्स स्वैप के माध्यम से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का ड्यूरेबल लिक्विडिटी बाजार दरों के माध्यम से विशेष रूप से सॉवरेन बॉंड बाजार में पॉलिसी ट्रांसमिशन को समर्थन देगा।"

फेडरल बैंक के ग्रुप प्रेसिडेंट और ट्रेजरी हेड लक्ष्मणन वी. ने कहा, "लॉन्ग टर्म स्वैप और ओएमओ के साथ ब्याज दरों में कटौती से न केवल लिक्विडिटी का वादा बरकरार रहेगा, बल्कि करेंसी भी सापेक्षिक रूप से बैलेंस्ड रहेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि मार्केट ने सभी काउंट पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दर्ज की है।"

Point of View

हमें आरबीआई के निर्णय पर ध्यान देना चाहिए जो उपभोग और विकास को बढ़ावा दे सकता है। यह समय है जब हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है ताकि हम अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकें।
NationPress
05/12/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई की ब्याज दर में कटौती का क्या प्रभाव होगा?
आरबीआई की ब्याज दर में कटौती से उपभोग बढ़ने और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिल सकता है।
क्या यह कटौती स्थायी है?
यदि आर्थिक गति जारी रहती है, तो यह कटौती स्थायी हो सकती है।
बैंकर्स इस कटौती के बारे में क्या सोचते हैं?
बैंकर्स का मानना है कि यह निर्णय उपभोग और विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है।
Nation Press