क्या सरकार ने निष्क्रिय जनधन खातों को बंद करने की रिपोर्ट्स का खंडन किया?

सारांश
Key Takeaways
- सरकार ने निष्क्रिय खातों को बंद करने की रिपोर्ट्स का खंडन किया।
- वित्तीय सेवा विभाग ने बैंकों को कोई निर्देश नहीं दिया है।
- जन धन योजना के तहत 55.69 करोड़ लाभार्थी हैं।
- सरकार का लक्ष्य गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना है।
- निष्क्रिय खातों की निगरानी जारी है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) और वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को निष्क्रिय प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों को बंद करने की रिपोर्ट्स का खंडन किया।
वित्तीय सेवा विभाग ने एक बयान में कहा, "उन्हें बैंकों से निष्क्रिय प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों को बंद करने का निर्देश नहीं दिया गया है।"
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि सरकार ने प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के अंतर्गत आने वाले ऐसे खातों को बंद करने का आदेश दिया है, जिनमें पिछले 24 महीनों में कोई लेनदेन नहीं हुआ है।
रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया कि सरकार का यह कदम इन खातों के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए उठाया जा रहा है।
इसके साथ ही सरकार ने बताया कि डीएफएस द्वारा 1 जुलाई से देशभर में जन धन योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना और अटल पेंशन योजना को अपनाने के लिए तीन महीने का एक अभियान शुरू किया गया है। बैंक इस अभियान के दौरान सभी देय खातों का पुनः केवाईसी भी करेंगे।
बयान में कहा गया कि वित्तीय सेवा विभाग निष्क्रिय पीएमजेडीवाई खातों की संख्या की निरंतर निगरानी करता है और बैंकों को सलाह दी गई है कि वे संबंधित खाताधारकों से संपर्क कर उनके खातों को परिचालन में लाने का प्रयास करें। पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या में लगातार वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है और निष्क्रिय पीएमजेडीवाई खातों के बड़े पैमाने पर बंद होने की कोई घटना विभाग के संज्ञान में नहीं आई है।
सरकार ने 28 अगस्त 2014 को इस योजना की शुरुआत की थी। जन धन योजना के माध्यम से सरकार देश के गरीब और वंचित तबके को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने में सफल रही है। इसके साथ ही डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर यानी डीबीटी के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाया जा रहा है।
पीएमजेडीवाई की वेबसाइट के अनुसार, इस योजना के तहत अब तक 55.69 करोड़ लाभार्थी हैं और उनके खातों में कुल 2,59,622.39 करोड़ रुपए जमा हैं।