क्या शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का मुनाफा वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में 0.94 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया?
सारांश
Key Takeaways
- शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का मुनाफा 0.94 लाख करोड़ रुपए हुआ।
- सरकारी बैंकों का मुनाफा 4.7 प्रतिशत बढ़ा।
- निजी बैंकों में मुनाफा 2.1 प्रतिशत घटा।
- फीस आय में वृद्धि ने मुनाफे में मदद की।
- ऑपरेटिंग खर्चों का नियंत्रण भी महत्वपूर्ण रहा।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश के शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का शुद्ध मुनाफा वार्षिक आधार पर 2.5 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में 0.94 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। इसकी मुख्य वजह फीस आय में वृद्धि और ऑपरेटिंग खर्चों का नियंत्रण में रहना है। यह जानकारी शुक्रवार को एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई।
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में सरकारी बैंकों का मुनाफा वार्षिक आधार पर 4.7 प्रतिशत बढ़कर 0.50 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इसके विपरीत, निजी क्षेत्र के बैंकों में मुनाफा 2.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ 0.44 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सरकारी बैंकों के मुनाफे में वृद्धि का कारण फीस आय, रिटेल और एमएसएमई क्षेत्र में कर्ज़ वृद्धि का लौटना और ऑपरेटिंग खर्चों का सामान्य होना है।
इसके अतिरिक्त, हालिया हिस्सेदारी बिक्री के प्रभावों को शामिल करने से बड़े सरकारी बैंकों का लाभ वार्षिक आधार पर 8.9 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। निजी बैंकों को कॉर्पोरेट लोन की मंद मांग, ब्याज आय में स्थिर वृद्धि, सूक्ष्म वित्त और असुरक्षित क्षेत्रों में निरंतर दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
यदि एकमुश्त नियामक प्रावधान को शामिल किया जाए, तो निजी बैंकों का शुद्ध लाभ वार्षिक आधार पर 4 प्रतिशत और घट जाएगा।
वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही में शेड्यूल कमर्शियल बैंकों का रिटर्न ऑन एसेट्स 1.29 प्रतिशत रहा है, जो कि वार्षिक आधार पर 0.11 प्रतिशत कम है। इसकी वजह मार्जिन में कमी है।
तिमाही आधार पर इसमें 0.01 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, जो सरकारी बैंकों के अच्छे प्रदर्शन का परिणाम है।
रेटिंग एजेंसी ने भविष्यवाणी की है कि त्योहारी सीजन की मांग, लोन वृद्धि, कम सीआरआर आवश्यकता से लाभ और असुरक्षित तथा एमएफआई क्षेत्र में गिरावट के क्रमिक सामान्यीकरण से वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में मुनाफे में सुधार हो सकता है।