क्या 2025 में भारत ने अंतरिक्ष में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं?
सारांश
Key Takeaways
- इसरो ने 200 से अधिक सफल अंतरिक्ष मिशन पूरे किए।
- पहली बार एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री आईएसएस पर गया।
- आदित्य-एल1 मिशन से महत्वपूर्ण डेटा जारी किया गया।
- भारत ने स्पैडेक्स के तहत उपग्रहों को सफलतापूर्वक जोड़ा।
- निसार उपग्रह का लॉन्च एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 में भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक उपलब्धियां प्राप्त कीं हैं। इस वर्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 200 से अधिक सफल अंतरिक्ष मिशन पूरे किए। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि 2015 से 2025 के बीच जितने मिशन हुए हैं, वे 2005 से 2015 के मुकाबले लगभग दोगुने हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जनवरी 2025 से अब तक 200 से अधिक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गईं।
इसरो ने इस साल के आखिरी मिशन के तहत बुधवार (24 दिसंबर, 2025) को इतिहास बनाते हुए सबसे भारी संचार उपग्रह ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन में अमेरिकी कंपनी एएसटी स्पेसमोबाइल के 6100 किलो वजनी ब्लू बर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को 520 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की निचली कक्षा में 16 मिनट में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। इसके लिए एलवीएम3 रॉकेट का इस्तेमाल हुआ, जिसे इसकी क्षमताओं के चलते 'बाहुबली' रॉकेट भी कहा जाता है।
इससे पहले 2 नवंबर, 2025 को एलवीएम3-एम5/सीएमएस-03 मिशन के दौरान इसरो ने सी25 क्रायोजेनिक अपर स्टेज के इन-आर्बिट इग्निशन का सफल परीक्षण किया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि भारत क्रायोजेनिक रॉकेट तकनीक में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
इसी वर्ष भारत ने रॉकेट इंजन और क्रायोजेनिक तकनीक में भी महत्वपूर्ण प्रगति की। 28 मार्च 2025 को इसरो ने अपने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (एसई2000) का सफल “हॉट टेस्ट” किया, जिससे भारत की रॉकेट तकनीक और मजबूत हुई।
भारत को पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 से भी बड़ी उपलब्धि मिली। यह मिशन सूर्य-पृथ्वी एल1 बिंदु पर स्थित है। इसरो ने इस मिशन से जुड़े लगभग 15 टेराबाइट वैज्ञानिक डेटा दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए जारी किया, जो सूर्य और अंतरिक्ष-मौसम अनुसंधान में मदद करेगा।
इसी वर्ष इसरो और नासा ने मिलकर निसार (एनआईएसएआर) नाम का एक खास पृथ्वी अवलोकन उपग्रह लॉन्च किया। यह दुनिया का पहला रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो दो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी का उपयोग करता है। यह उपग्रह भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, भूस्खलन, बर्फ की चादरों के पिघलने और पर्यावरण में हो रहे परिवर्तनों का अध्ययन करेगा।
29 जनवरी 2025 को इसरो ने श्रीहरिकोटा से 100वां रॉकेट प्रक्षेपण किया। इस मिशन में जीएसएलवी-एफ15 रॉकेट के जरिए एनवीएस-02 उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा गया। इसे जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया। हालांकि इसके ऑर्बिट बढ़ाने वाले इंजन में थोड़ी समस्या आई, जिससे यह तय कक्षा में नहीं पहुंच पाया, फिर भी यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक मिशन रहा।
इस साल जनवरी में भारत ने स्पैडेक्स (स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट) के तहत अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक जोड़ा। 16 जनवरी 2025 को इसरो ने स्पैडेक्स के दो उपग्रह एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02 को डॉक किया। इसके साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बना। यह सफलता भविष्य में चंद्रमा पर मानव भेजने और अंतरिक्ष स्टेशन बनाने के लिए बहुत जरूरी है।
साल 2025 की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक यह रही कि पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचा। इसी के साथ वह राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इसरो के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत आईएसएस गए। उन्होंने लगभग 18 दिन अंतरिक्ष में बिताए, जिससे पूरे देश को गर्व महसूस हुआ।