क्या टैरिफ वृद्धि के बाद तमिलनाडु में ईवी चार्जिंग ऑपरेटरों की लागत बढ़ जाएगी?

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क्या टैरिफ वृद्धि के बाद तमिलनाडु में ईवी चार्जिंग ऑपरेटरों की लागत बढ़ जाएगी?

सारांश

तमिलनाडु विद्युत विनियामक आयोग द्वारा बिजली दरों में वृद्धि के बाद, ईवी चार्जिंग ऑपरेटरों की लागत में भारी बढ़ोतरी होने की संभावना है। क्या इससे राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग का भविष्य प्रभावित होगा? जानें इस रिपोर्ट में।

Key Takeaways

  • बिजली दरों में वृद्धि से ईवी चार्जिंग की लागत बढ़ेगी।
  • टीएनईआरसी का टाइम-ऑफ-डे टैरिफ मॉडल चालू है।
  • फास्ट-चार्जिंग स्टेशनों के लिए निर्धारित शुल्क में भारी वृद्धि हुई है।
  • ऑपरेटरों ने सरकार से सहायता की मांग की है।
  • बढ़ती लागत से चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास प्रभावित हो सकता है।

चेन्नई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। तमिलनाडु विद्युत विनियामक आयोग (टीएनईआरसी) द्वारा बिजली दरों में संशोधन के बाद, पूरे तमिलनाडु में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) चार्जिंग ऑपरेटरों की परिचालन लागत में महत्वपूर्ण वृद्धि हो सकती है।

नई बिजली दरें 1 जुलाई से लागू हैं।

संशोधित टैरिफ संरचना ने ईवी चार्जिंग स्टेशनों के लिए ऊर्जा शुल्क और निश्चित मासिक शुल्क दोनों में वृद्धि की है, जिससे राज्य में सार्वजनिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की आर्थिक स्थिरता को लेकर ऑपरेटरों के बीच चिंताएं बढ़ गई हैं।

हालांकि, टीएनईआरसी ने अपने टाइम-ऑफ-डे (टीओडी) टैरिफ मॉडल को बरकरार रखा है, जिसे पहली बार 2023 में ऑफ-पीक चार्जिंग को बढ़ावा देने के लिए पेश किया गया था।

नई संरचना के तहत, सौर घंटों (सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक) में चार्जिंग का खर्च 6.50 रुपए प्रति किलोवाट घंटा होगा, जबकि पीक घंटों (सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजे और शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक) की दर 9.45 रुपए से बढ़कर 9.75 रुपए प्रति किलोवाट घंटा हो गई है। रात में चार्जिंग (रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक) के लिए अब 8.10 रुपए प्रति किलोवाट घंटा का शुल्क लगेगा, जो पहले 7.85 रुपए था।

नई शुल्क संरचना में सबसे बड़ी बढ़ोतरी हाई-टेंशन (एचटी) कनेक्शन के लिए निर्धारित शुल्क में हुई है, जिसका उपयोग आमतौर पर फास्ट-चार्जिंग स्टेशनों द्वारा किया जाता है। इसके लिए मासिक निर्धारित शुल्क दोगुने से अधिक होकर 304 रुपए प्रति केवीए हो गया है, जो पहले 145 रुपए प्रति केवीए था।

ये शुल्क वास्तविक उपयोग के बिना स्वीकृत लोड के आधार पर लगाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 50 किलोवाट का फास्ट-चार्जिंग स्टेशन, जिसे पहले लगभग 1,300 रुपए निर्धारित शुल्क (बिजली करों को छोड़कर) का भुगतान करना पड़ता था, अब 2,750 रुपए प्रति माह का भुगतान करेगा।

इससे पहले से ही कम क्षमता उपयोग के स्तर से जूझ रहे ऑपरेटरों की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ने की आशंका है।

इंडियन चार्ज पॉइंट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के निदेशक के.पी. कार्तिकेयन ने इस वृद्धि को एक बड़ा झटका बताया।

उन्होंने कहा, "हमारी बिजली की औसत लागत 9 से 9.50 रुपए प्रति यूनिट हुआ करती थी। नए टैरिफ के साथ, इसमें लगभग 2.50 रुपए प्रति यूनिट की वृद्धि हुई है, यानी बिजली की लागत में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।"

ऑपरेटर अब राज्य सरकार से नीति ढांचे की समीक्षा करने और ईवी चार्जिंग इकोसिस्टम को सक्षम बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन या सब्सिडी पर विचार करने का आग्रह कर रहे हैं। ऐसे समर्थन के बिना, कई लोगों को डर है कि बढ़ी हुई लागत तमिलनाडु में एक मजबूत, किफायती सार्वजनिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की गति को धीमा कर सकती है।

Point of View

तमिलनाडु में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास अब एक नई चुनौती का सामना कर रहा है। बढ़ती लागत और संशोधित टैरिफ संरचना से ऑपरेटरों की वित्तीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हमें सरकार से सहयोग की आवश्यकता है ताकि इस क्षेत्र की स्थिरता बनी रहे।
NationPress
23/07/2025

Frequently Asked Questions

बिजली दरों में वृद्धि का ईवी चार्जिंग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
बिजली दरों में वृद्धि से ईवी चार्जिंग की लागत में वृद्धि होगी, जो ऑपरेटरों की वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकती है।
टीएनईआरसी द्वारा पेश किया गया टाइम-ऑफ-डे टैरिफ क्या है?
यह एक टैरिफ मॉडल है जो ऑफ-पीक चार्जिंग को प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया है, जिससे चार्जिंग की लागत कम हो सकती है।
नए टैरिफ में चार्जिंग लागत कितनी बढ़ी है?
नए टैरिफ के अनुसार, चार्जिंग लागत में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
क्या ऑपरेटरों को सरकार से कोई सहायता मिल रही है?
ऑपरेटर सरकार से नीति ढांचे की समीक्षा करने और प्रोत्साहन की मांग कर रहे हैं।
क्या यह स्थिति ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रभावित करेगी?
हां, बढ़ती लागत से किफायती चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास प्रभावित हो सकता है।