क्या यूपीआई आधारित ट्रांजैक्शन की संख्या पहली बार एक दिन में 70 करोड़ के पार हो गई है?

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क्या यूपीआई आधारित ट्रांजैक्शन की संख्या पहली बार एक दिन में 70 करोड़ के पार हो गई है?

सारांश

यूपीआई लेनदेन की संख्या ने नया रिकॉर्ड बनाया है। जानिए इस उपलब्धि के पीछे की कहानी और भविष्य के लक्ष्य क्या हैं।

Key Takeaways

  • यूपीआई का दैनिक लेनदेन 70.7 करोड़ के पार पहुंच गया है।
  • सरकार का लक्ष्य 100 करोड़ दैनिक लेनदेन प्राप्त करना है।
  • उपयोगकर्ताओं के लिए यूपीआई प्रणाली निःशुल्क है।
  • प्रतिदिन 650 मिलियन लेनदेन होते हैं।
  • यूपीआई भारत में सभी डिजिटल लेनदेन का 85 प्रतिशत संचालित करता है।

नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) पर आधारित दैनिक लेनदेन की संख्या पहली बार 70.7 करोड़ के स्तर को पार कर गई है।

यह उपलब्धि इस महीने 2 अगस्त को प्राप्त की गई।

पिछले दो वर्षों में, दैनिक लेनदेन की संख्या दोगुनी हो गई है, हालाँकि पिछले वर्षों की तुलना में यह वृद्धि धीमी रही है।

अगस्त 2023 में, यूपीआई ने प्रतिदिन लगभग 35 करोड़ लेनदेन दर्ज किए थे, जो अगस्त 2024 में बढ़कर 50 करोड़ दैनिक लेनदेन पर पहुँच गया।

सरकार ने यूपीआई के लिए प्रतिदिन 100 करोड़ लेनदेन हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और आशा है कि मौजूदा विकास दर के साथ यह प्लेटफॉर्म अगले वर्ष इस लक्ष्य तक पहुँच जाएगा।

फिनटेक कंपनियों और भुगतान संघों का कहना है कि यूपीआई के बिजनेस मॉडल को अगले साल तक एक अरब लेनदेन हासिल करने के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) को फिर से लागू करना चाहिए।

उन्होंने सरकार से प्रमुख व्यापारियों और उच्च-मूल्य वाले लेनदेन के लिए मार्जिनल एमडीआर स्थापित करने का अनुरोध किया।

सरकार ने यूपीआई के लिए सब्सिडी को वित्तीय वर्ष 24 में लगभग 4,500 करोड़ रुपए से घटाकर वित्तीय वर्ष 25 में 1,500 करोड़ रुपए करने का निर्णय लिया, लेकिन इस इकोसिस्टम की एमडीआर मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी भुगतान कंपनियों की एमडीआर मांग का समर्थन किया।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यूपीआई इंटरफेस को वित्तीय रूप से सस्टेनेबल बनाया जाना चाहिए।

यूपीआई सिस्टम वर्तमान में उपयोगकर्ताओं के लिए निःशुल्क है और सरकार पेमेंट फ्रेमवर्क का समर्थन करने वाले बैंकों और अन्य हितधारकों को सब्सिडी देकर लागत वहन करती है।

उन्होंने कहा, "किसी न किसी को तो यह लागत वहन करनी ही होगी।"

'एमडीआर' डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया के लिए बैंकों द्वारा व्यापारियों से लिया जाने वाला शुल्क है, जो आमतौर पर लेनदेन मूल्य का 1 प्रतिशत से 3 प्रतिशत तक होता है।

इसे दिसंबर 2019 में सरकार द्वारा रुपे डेबिट कार्ड और भीम-यूपीआई लेनदेन पर माफ कर दिया गया था।

यह स्पष्ट नहीं है कि एमडीआर को फिर से लागू किया जाएगा या उपयोगकर्ताओं को यूपीआई इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च भी वहन करना होगा।

आरबीआई गवर्नर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब यूपीआई ने दैनिक लेनदेन मात्रा के मामले में वैश्विक भुगतान दिग्गज वीजा को पीछे छोड़ दिया है।

पिछले महीने, यूपीआई ने 25 लाख करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के लगभग 19.5 बिलियन लेनदेन दर्ज किए।

इसका मतलब है कि एक दिन में औसतन लगभग 650 मिलियन लेनदेन होते हैं और इसका दैनिक मूल्य लगभग 83,000 करोड़ रुपए है।

यूपीआई अब भारत में सभी डिजिटल लेनदेन का लगभग 85 प्रतिशत और दुनिया भर में सभी रियल-टाइम डिजिटल भुगतानों का लगभग 50 प्रतिशत संचालित करता है।

जैसे-जैसे इंटरनेट की पहुँच बढ़ रही है और अधिक से अधिक उपभोक्ता और व्यवसाय डिजिटल भुगतान अपना रहे हैं, इस प्लेटफॉर्म में मासिक आधार पर 5-7 प्रतिशत और सालाना आधार पर 40 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा रही है।

Point of View

बल्कि यह आर्थिक समृद्धि की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें उम्मीद है कि सरकार और वित्तीय संस्थान इस प्लेटफॉर्म को और अधिक सशक्त बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।
NationPress
05/08/2025

Frequently Asked Questions

यूपीआई क्या है?
यूपीआई, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस का संक्षिप्त रूप है, जो एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है।
यूपीआई के लाभ क्या हैं?
यूपीआई के माध्यम से आप त्वरित और सुरक्षित लेनदेन कर सकते हैं, और यह निःशुल्क है।
क्या यूपीआई लेनदेन की संख्या बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा?
जी हां, यूपीआई लेनदेन की वृद्धि से अर्थव्यवस्था में न केवल तेजी आएगी, बल्कि डिजिटल भुगतान को भी बढ़ावा मिलेगा।
क्या यूपीआई की उपयोगिता केवल भारत तक सीमित है?
यूपीआई प्रणाली भारत में लोकप्रिय है, लेकिन इसका उपयोग अन्य देशों में भी देखने को मिल सकता है।
एमडीआर क्या होता है?
एमडीआर, मर्चेंट डिस्काउंट रेट का संक्षिप्त रूप है, जो व्यापारी द्वारा दिए गए लेनदेन पर लिया जाने वाला शुल्क है।