क्या वर्गीज कुरियन ने श्वेत क्रांति के जरिए भारत को दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक बना दिया?
सारांश
Key Takeaways
- डॉ. वर्गीज कुरियन का योगदान भारतीय डेयरी उद्योग में अद्वितीय है।
- उन्होंने ऑपरेशन फ्लड के माध्यम से किसानों को आत्मनिर्भर बनाया।
- भारत ने १९९८ में अमेरिका को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनने का गौरव प्राप्त किया।
- कुरियन ने सहकारी मॉडल के जरिए महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाई।
- उनकी कहानी प्रेरणा देती है कि कैसे एक व्यक्ति बदलाव ला सकता है।
नई दिल्ली, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत को श्वेत क्रांति के माध्यम से वैश्विक दुग्ध उत्पादन में शीर्ष स्थान पर पहुँचाने वाले और अमूल के संस्थापक डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्मदिन आज मनाया जा रहा है। इस अवसर पर डेयरी क्षेत्र में उनके योगदान को ध्यान में रखते हुए इस दिन को 'नेशनल मिल्क डे' के रूप में मनाया जाता है।
'मिल्कमैन ऑफ इंडिया' के नाम से जाने जाने वाले कुरियन ने 'ऑपरेशन फ्लड' के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया और लाखों किसानों को आत्मनिर्भर बनने का मार्ग दिखाया।
डॉ. वर्गीज कुरियन का जन्म २६ नवंबर १९२१ को केरल के कोझिकोड में एक संपन्न सिरियन ईसाई परिवार में हुआ। उनके पिता एक सरकारी सर्जन थे। उन्होंने १९४० में चेन्नई के लोयोला कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की और १९४३ में गिंडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। १९४८ में उन्होंने अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर्स किया, जहाँ उन्होंने डेयरी इंजीनियरिंग का अध्ययन किया।
भारत लौटने के बाद, उन्हें १९४९ में गुजरात के आनंद में डेयरी डिवीजन में नियुक्त किया गया। यहाँ उनकी मुलाकात त्रिभुवनदास पटेल से हुई, जो किसानों को एकजुट करने के लिए प्रयासरत थे।
कुरियन और त्रिभुवनदास ने १९४६ में कैरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड (केडीसीएमपीयूएल) की स्थापना की, जो बाद में अमूल बनी।
कुरियन के मित्र एच.एम. दयाला ने भैंस के दूध से मिल्क पाउडर और कंडेंस्ड मिल्क बनाने की तकनीक विकसित की, जिसने भारतीय डेयरी उद्योग में क्रांति ला दी। इस नवाचार ने भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
१९६५ में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कुरियन के आनंद मॉडल को देखकर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की स्थापना की, और कुरियन को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया। 'ऑपरेशन फ्लड' ने भारत के दूध उत्पादन को १९६८-६९ में २३.३ मिलियन टन से २००६-०७ में १००.९ मिलियन टन तक बढ़ाया। इस कार्यक्रम में ₹१७०० करोड़ का निवेश हुआ और यह दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम बना। १९९८ में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़कर विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनने का गौरव प्राप्त किया।
कुरियन ने सहकारी मॉडल के माध्यम से किसानों को सशक्त किया, जिससे ग्रामीण रोजगार में वृद्धि हुई और विशेष रूप से महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिली। ७५ मिलियन से अधिक महिलाएं डेयरी कार्य से जुड़ीं। उन्होंने राष्ट्रीय सहकारी डेयरी फेडरेशन और इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद जैसे संस्थानों की स्थापना की। उनकी पुस्तक 'आई टू हैड अ ड्रीम' और श्याम बेनेगल की फिल्म 'मंथन', जिसमें ५ लाख किसानों ने २ रुपए का योगदान दिया, उनकी उपलब्धियों को दर्शाती है।
कुरियन को १९६३ में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, १९८९ में वर्ल्ड फूड प्राइज और १९९९ में पद्म विभूषण जैसे कई पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्होंने ९ सितंबर २०१२ को ९० वर्ष की आयु में गुजरात के नडियाद में अंतिम सांस ली।