क्या अनुभव सिन्हा की नई यात्रा दर्शकों का 'दिल' जीत पाएगी?

सारांश
Key Takeaways
- अनुभव सिन्हा की नई यात्रा 'चल पिक्चर चलें' दर्शकों के साथ संवाद बढ़ाएगी।
- यह यात्रा छोटे शहरों की सोच और उनकी जरूरतों को समझने का प्रयास करेगी।
- सोशल मीडिया पर दर्शकों की प्रतिक्रियाएं महत्वपूर्ण हैं।
- निर्माताओं और दर्शकों के बीच संवाद का अभाव है।
- यह यात्रा सिनेमा को नई दिशा देने में सहायक होगी।
मुंबई, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा ने मंगलवार को एक वीडियो साझा कर अपने प्रशंसकों को एक विशेष यात्रा के बारे में बताया। उनका कहना है कि इस यात्रा के माध्यम से वे दर्शकों के दिल की गहराई से बात समझने का प्रयास करेंगे।
इस यात्रा का नाम उन्होंने 'चल पिक्चर चलें' रखा है। निर्देशक ने साझा किया कि यह यात्रा दो महीने तक चलेगी, जिसमें अनुभव छोटे-छोटे शहरों में जाकर वहां के लोगों से मिलेंगे, उनकी सोच को जानेंगे, और यह समझने की कोशिश करेंगे कि आज का दर्शक सिनेमा से क्या चाहता है।
अनुभव सिन्हा ने इंस्टाग्राम पर वीडियो में अपनी प्रेरणा और यात्रा के उद्देश्य को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हिंदी सिनेमा में हर शुक्रवार को नई फिल्में रिलीज होती हैं, जिससे इंडस्ट्री में नई-नई थ्योरी बनती है। कभी कहा जाता है कि अब एक्शन फिल्में चलेंगी, तो कभी लव स्टोरी पर चर्चा होती है। कभी यह कहा जाता है कि किसी फिल्म को इस कारण से सफलता नहीं मिली, या कोई फिल्म उस वजह से हिट हो गई।
अनुभव ने महसूस किया कि फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, अभिनेताओं और दर्शकों के बीच एक गहरा कम्युनिकेशन गैप आ गया है।
उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया पर जब मैं दर्शकों की प्रतिक्रियाएं पढ़ता हूं, तो ऐसा लगता है कि हमारी और दर्शकों की समझ के बीच एक बड़ा गैप है। हम एक-दूसरे को पूरी तरह से समझ नहीं पा रहे।"
अनुभव ने बताया कि मुंबई में दो तरह के लोग रहते हैं, एक वो जो मुंबई में पले-बढ़े हैं और दूसरे वो जो उनके जैसे बाहर से आए हैं और वर्षों से यहां रह रहे हैं।
अनुभव खुद बनारस से हैं और अलीगढ़ में पढ़े हैं, इसलिए उन्हें छोटे शहरों की जिंदगी और वहां की सोच का अनुभव है। हाल ही में जब वह बनारस गए, तो उन्हें एहसास हुआ कि 30 साल पहले का बनारस अब बदल चुका है। वहां की नई पीढ़ी, उनकी सोच, और उनकी जरूरतें पहले से काफी अलग हैं।
इसने अनुभव को यह सोचने पर मजबूर किया कि एक निर्देशक, लेखक और निर्माता के तौर पर उन्हें दर्शकों की नब्ज को और बेहतर तरीके से समझने की आवश्यकता है। यही वजह है कि उन्होंने 'चल पिक्चर चलें' नाम से यह यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया।
अनुभव ने कहा, "मैं जानना चाहता हूं कि दर्शक सिनेमाघरों में क्या देखना चाहते हैं। उनकी उम्मीदें क्या हैं?"
अनुभव ने यह भी बताया कि वह यात्रा के हर पड़ाव की जानकारी प्रशंसकों के साथ साझा करेंगे ताकि फैंस उनसे मिल सकें।
उन्होंने लिखा, "'चल पिक्चर चलें,' ये मेरी एक नई यात्रा है। कुछ सवालों के जवाब खोजने निकला हूं। यात्रा का हाल सुनाता रहूंगा, जहां-जहां जाऊंगा। लखनऊ के खाने के ठिकाने मुझे मालूम हैं, फिर भी आप लोग बताते रहिएगा। ये सीखने और समझने की यात्रा है।"