क्या छठ का प्रसाद खाने पर अमृत का स्वाद मिलता है? : सानंद वर्मा
सारांश
Key Takeaways
- छठ पूजा एक पवित्र त्योहार है जो सकारात्मकता का संचार करता है।
- सानंद वर्मा का प्रसाद खाने का अनुभव अमृत के समान है।
- यह पर्व हमें अपने परिवार और जड़ों से जोड़ता है।
- ठेकुआ, छठ पूजा का अनिवार्य प्रसाद है।
- छठ पूजा सामूहिकता और सहयोग की भावना को बढ़ावा देती है।
मुंबई, 27 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। लोक आस्था का महापर्व छठ पर टेलीविजन जगत के कई सितारे इस दिव्य उत्सव से जुड़ी अपनी यादों को साझा कर रहे हैं। लोकप्रिय धारावाहिक ‘भाबीजी घर पर हैं’ में डॉ. अनोखेलाल सक्सेना का किरदार निभाने वाले सानंद वर्मा ने भी छठ पूजा के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए।
सानंद वर्मा ने कहा कि जब भी वह छठ का प्रसाद खाते हैं, तो ऐसा अनुभव होता है कि जैसे वह अमृत का स्वाद ले रहे हों।
उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि छठ पूजा दुनिया का सबसे पवित्र त्योहार है। मैंने इससे पवित्र कुछ नहीं देखा। इस त्योहार के दौरान बुरे लोग भी अपने आप को बेहतर बना लेते हैं। वे गरीबों की मदद करते हैं, आसपास की सफाई करते हैं, और नदियों को शुद्ध करने में भाग लेते हैं। पूरा वातावरण सकारात्मक हो जाता है और सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है।"
उन्होंने आगे कहा, "जब भी मैं छठ मां के गीत सुनता हूं, मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं। जब मैं प्रसाद खाता हूं तो ऐसा लगता है जैसे मैं अमृत का स्वाद ले रहा हूं। यह त्योहार बहुत ही शक्तिशाली और दिव्य है। हालांकि, इस बार मैं मुंबई में अपने रिश्तेदारों के साथ छठ पूजा मना रहा हूं, लेकिन मुझे अपने घर बिहार में पारंपरिक उत्सवों की बहुत याद आती है। सभी प्रसादों में मेरा पसंदीदा प्रसाद ठेकुआ है, जो गुड़, घी और गेहूं के आटे से बनता है, जो सादगी, भक्ति और मिठास का प्रतीक है और छठ पूजा के सार को पूरी तरह से दर्शाता है।"
टीवी अभिनेत्री ऋचा सोनी, जो जल्द ही आगामी शो ‘घरवाली पेड़वाली’ में रीटा की भूमिका में नजर आएंगी, ने भी छठ पूजा के आध्यात्मिक महत्व के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा, "छठ पूजा का मेरे दिल में हमेशा एक खास स्थान रहा है। मैं अपनी मां और मौसियों को ठेकुआ बनाने से लेकर, डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य देने तक, पूरी श्रद्धा से ये अनुष्ठान करते हुए देखती रही हूं। छठ के दौरान का माहौल सचमुच दिव्य होता है, जो पवित्रता, अनुशासन, और कृतज्ञता से भरा होता है।"
उन्होंने कहा, "बचपन में हम अर्घ्य के बाद प्रसाद ग्रहण करने के पल का बेसब्री से इंतजार करते थे। पूजा के दौरान चढ़ाए जाने वाले फल मेरे सबसे पसंदीदा रहे हैं। छठ पूजा एक ऐसा अहसास है जो मुझे मेरी जड़ों, मेरी आस्था और मेरे परिवार से गहराई से जोड़ता है।"