क्या दिल्ली हाईकोर्ट ने राजपाल यादव को चेक बाउंस मामले में मेलबर्न जाने की अनुमति दी?

सारांश
Key Takeaways
- दिल्ली हाईकोर्ट ने राजपाल यादव को सशर्त अनुमति दी।
- राजपाल को यात्रा के लिए एक लाख रुपये की एफडीआर जमा करनी होगी।
- कोर्ट ने समझौते की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया।
- यह मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के अंतर्गत है।
- राजपाल ने 2010 में लोन लिया था, जिसकी वजह से यह मामला सामने आया।
नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म अभिनेता राजपाल यादव को चेक बाउंस मामले में मेलबर्न जाने की सशर्त अनुमति प्रदान की है। अभिनेता 27 जून से 5 जुलाई 2025 तक अपनी नई फिल्म 'मेरा काले रंग दा यार' के प्रचार कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह अनुमति कुछ शर्तों के अधीन होगी, जिसमें एक लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट रसीद (एफडीआर) कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करनी होगी। इसके अलावा, उन्हें अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी उपलब्ध कराना होगा, जो विदेश यात्रा के दौरान हमेशा चालू रहना चाहिए।
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि ट्रायल कोर्ट में जमा उनका पासपोर्ट विदेश यात्रा के लिए उन्हें सौंपा जाए, लेकिन भारत लौटने के बाद इसे पुनः अदालत में जमा करना अनिवार्य होगा।
यह मामला नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के अंतर्गत दर्ज है, जिसमें राजपाल यादव को पिछले साल सजा सुनाई गई थी। उन्होंने और उनकी पत्नी ने इस सजा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जून 2024 में कोर्ट ने यह मानते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी थी कि वे कोई गंभीर अपराधी नहीं हैं और उनके मामले में सुधार की संभावनाएं हैं।
कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपसी समझौते की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया था, जो वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट के मेडिएशन सेंटर में विचाराधीन है।
बता दें कि 2010 में राजपाल यादव ने अपनी फिल्म 'अता-पता लापता' के लिए 5 करोड़ रुपये का लोन लिया था, लेकिन वह इस राशि को चुकता नहीं कर पाए। इसके बाद उनके खिलाफ चेक बाउंस से संबंधित सात शिकायतें दर्ज की गईं। कड़कड़डूमा कोर्ट ने राजपाल को कई नोटिस भेजे, लेकिन वह अदालत में उपस्थित नहीं हुए।
साल 2013 में उन्हें 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। उन्होंने 3 से 6 दिसंबर 2013 तक जेल में चार दिन बिताए थे, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अपील पर सजा निलंबित कर दी थी।