क्या टीवी इंडस्ट्री में बदलाव की आवश्यकता है? महिलाओं को बेहतर कहानियों की तलाश : रेणुका शहाणे

सारांश
Key Takeaways
- महिलाओं को टीवी पर सशक्त और विविध कहानियों में दिखाना जरूरी है।
- पुरानी सास-बहू कहानियों का स्थान नई और प्रगतिशील कहानियों को लेना चाहिए।
- टीवी ने पहले सामाजिक बदलाव का मंच बनाया था, इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।
मुंबई, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री और फिल्म निर्माता रेणुका शहाणे ने टेलीविजन पर महिलाओं की रूढ़िगत और पुरातन छवि को लेकर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि टीवी की कहानियां आज भी सास-बहू के घिसे-पिटे झगड़ों तक सीमित हैं, जो समाज में महिलाओं की प्रगति को नहीं दर्शाती।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में रेणुका शहाणे ने बताया कि उन्हें टेलीविजन के लिए ऑफर मिलते हैं, लेकिन कंटेंट की गुणवत्ता के कारण वह इन्हें स्वीकार नहीं करतीं।
'हम आपके हैं कौन' फेम अभिनेत्री ने कहा, "मुझे टीवी के लिए अक्सर ऑफर मिलते हैं, लेकिन आज टीवी डेली सोप्स तक सीमित है। मेरे लिए घर, लेखन, निर्देशन और अभिनय के बीच संतुलन बनाना मुश्किल है। दुर्भाग्य से, टीवी की कहानियां पुराने ढर्रे पर चल रही हैं।"
रेणुका ने सास-बहू के टकराव पर आधारित कहानियों की आलोचना की। उन्होंने कहा, "मुझे ऑफर मिलते हैं कि आप सास की भूमिका निभाएंगी, जिसकी बहू से नहीं बनती। मैं ऐसी कहानियां सुनना भी नहीं चाहती। सास और बहू के किरदारों में कई रंग हो सकते हैं। आज महिलाएं इतना कुछ कर रही हैं, लेकिन टीवी पर यह नहीं दिखता।"
उन्होंने अफसोस जताया कि एक समय टीवी सामाजिक बदलाव और प्रगतिशीलता का सशक्त माध्यम था, लेकिन अब इस भूमिका को फिल्में, वेब सीरीज और शॉर्ट फिल्म निभा रही हैं।
रेणुका ने कहा, "टीवी पर महिलाओं को सशक्त और विविध कहानियों के साथ सामने आने की जरूरत है। टीवी को फिर से सामाजिक बदलाव का मंच बनना चाहिए।"
इससे पहले, रेणुका ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान पति और अभिनेता आशुतोष राणा के काम की तारीफ करते हुए बताया था कि उन्हें उनका काम बेहद पसंद है।
वर्कफ्रंट की बात करें तो रेणुका के निर्देशन में बनी मराठी एनिमेटेड शॉर्ट फिल्म 'लूप लाइन' न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में 21 जून को प्रदर्शित होगी। यह फिल्म भारतीय गृहिणियों की उपेक्षा और पितृसत्तात्मक परिवारों में उनकी भावनात्मक चुनौतियों को दर्शाती है।