क्या मुकेश खन्ना ने 'महाभारत' के अपने को-स्टार्स के साथ रिश्तों के बारे में बात की?

सारांश
Key Takeaways
- मुकेश खन्ना का 'महाभारत' के को-स्टार्स के साथ गहरा रिश्ता है।
- पुरस्कारों का मूल्यांकन कार्य के पूरे करियर के आधार पर किया जाता है।
- पुरानी यादों को ताजा करते हुए, वे अपने कार्यों पर गर्व करते हैं।
- शाहरुख खान का राष्ट्रीय पुरस्कार एक उचित सम्मान है।
- मनोरंजन जगत में रिश्ते महत्वपूर्ण होते हैं।
मुंबई, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मुकेश खन्ना को प्रसिद्ध टीवी शो 'शक्तिमान' के लिए याद किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने 'महाभारत' में भीष्म पितामह का किरदार निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया था।
हाल ही में, उन्होंने राष्ट्र प्रेस से एक विशेष बातचीत में नए गाने के बारे में चर्चा की। यहां उन्होंने टीवी सीरियल 'महाभारत' के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अभी भी 'महाभारत' की कास्ट के संपर्क में हैं, तो उन्होंने कहा, "हम एक परिवार की तरह थे, हम लगभग 2 साल तक एक साथ रहे। आज भी सभी के साथ मेरे अच्छे रिश्ते हैं। हालाँकि, हम अब मिलते नहीं हैं, क्योंकि सब अपने काम में व्यस्त हैं, लेकिन हम फोन पर बातें करते हैं।"
एक्टर-डायरेक्टर मुकेश खन्ना ने कहा, "कुछ कार्यक्रमों में हम एक साथ आते हैं, लेकिन दो लोग यहाँ से जा चुके हैं। गिरिजा शंकर जो अमेरिका चले गए हैं, वे अभी भी मुझे मैसेज करते हैं। ऐसे में हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं।"
इससे पहले, मुकेश खन्ना ने शाहरुख खान को उनकी फिल्म 'जवान' के लिए मिले राष्ट्रीय पुरस्कार पर उठे सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। दक्षिण की अभिनेत्री उर्वशी ने शाहरुख खान को राष्ट्रीय पुरस्कार दिए जाने पर सवाल उठाए और जूरी के फैसले की निष्पक्षता पर संदेह जताया।
उर्वशी ने प्रश्न किया कि शाहरुख खान को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए किन मापदंडों का पालन किया गया?
मुकेश खन्ना ने इस पर अपनी राय रखते हुए राष्ट्र प्रेस से कहा कि यह पुरस्कार किसी अभिनेता के पूरे करियर को सम्मानित करने के रूप में दिया जाता है, और शाहरुख खान को 40 साल के अपने फिल्मी सफर के बाद यह सम्मान मिलना पूरी तरह से उचित है।
उन्होंने कहा, "जो लोग कहते हैं कि शाहरुख खान को इस फिल्म के लिए नहीं, बल्कि 'स्वदेश' के लिए पुरस्कार मिलना चाहिए था, उन्हें समझना चाहिए कि किसी भी बड़े कलाकार के पूरे करियर को एक पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।"
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "जैसे ए.आर. रहमान को 'जय हो' के लिए ऑस्कर मिला, तो क्या किसी ने यह सवाल किया कि उन्हें पहले के शानदार संगीत के लिए क्यों नहीं यह सम्मान मिला?"
उनका कहना है कि पुरस्कारों का मूल्यांकन हमेशा एक कलाकार के पूरे योगदान और उसकी मेहनत को देखते हुए किया जाता है, न कि किसी एक फिल्म के आधार पर।