क्या मुजफ्फर अली ने ‘उमराव जान’ कॉस्ट्यूम कलेक्शन की कहानी सुनाई?

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क्या मुजफ्फर अली ने ‘उमराव जान’ कॉस्ट्यूम कलेक्शन की कहानी सुनाई?

सारांश

मुजफ्फर अली की ‘उमराव जान’ एक बार फिर से सिनेमाघरों में आ रही है। इस फिल्म के कपड़ों का इतिहास, उनकी खूबसूरती और कहानी में उनका महत्व जानने के लिए पढ़ें।

Key Takeaways

  • उमराव जान का कपड़ा संग्रह अद्भुत है।
  • फिल्म की कहानी में कपड़ों का अहम योगदान है।
  • पुरानी वेशभूषा और संस्कृति का अद्भुत संगम है।
  • बाजार के कपड़ों की बजाय, स्थानीय कलाकृतियों का उपयोग हुआ।
  • फिल्म 27 जून को 4K रिस्टोर्ड वर्जन में रिलीज हो रही है।

मुंबई, २२ जून (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक मुजफ्फर अली की १९८१ में आई कल्ट क्लासिक ‘उमराव जान’ एक बार फिर से दर्शकों के सामने आने के लिए तैयार है। इस शानदार फिल्म की कहानी, संगीत और १९वीं सदी के लखनऊ की शाही वेशभूषा के लिए जानी जाती है। इसी सिलसिले में मुजफ्फर अली ने अपनी बात साझा की।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में मुजफ्फर अली ने खुलासा किया कि फिल्म के कपड़े बाजार से नहीं, बल्कि लोगों के घरों और पुरानी अलमारियों से एकत्र किए गए थे। इनमें न केवल इतिहास की झलक थी, बल्कि बुनकरों की कला की खूबसूरती भी समाई हुई थी।

उन्होंने कहा, “फिल्म की भाषा केवल संवादों तक सीमित नहीं थी, बल्कि किरदारों की वेशभूषा के माध्यम से भी इसे व्यक्त किया गया था। हर किरदार की वेशभूषा उस समय के हस्तनिर्मित, प्राकृतिक रंगों से तैयार की गई थी।”

मुजफ्फर ने आज के समय में बाजार में मिलने वाले कपड़ों पर खेद व्यक्त किया और कहा, “दिसंबर का हर दृश्य कपड़ों की भाषा से सजा है। ये कपड़े लोगों के घरों और पुरानी जगहों से जुटाए गए थे।”

उन्होंने बताया कि उस समय प्राकृतिक रंगों का उपयोग होता था और ये कपड़े बनाने में समय और मेहनत लगती थी, लेकिन यह एक अद्भुत कला का रूप था।

आगे उन्होंने कहा, “उस समय लोग कपड़े, संगीत या अन्य वस्त्र बनाने में पूरी तरह से डूब जाते थे। आज वह चीजें नहीं मिलतीं, कह सकते हैं कि वह समय अब बीत चुका है।”

‘उमराव जान’ की रिलीज के तीन दशक बाद, यह फिल्म २७ जून को ४के रिस्टोर्ड वर्जन में फिर से सिनेमाघरों में आने के लिए तैयार है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि फिल्म ‘उमराव जान’ न केवल एक मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत की एक झलक भी प्रस्तुत करती है। मुजफ्फर अली की दृष्टि ने हमें उन दिनों की याद दिलाई है जब कपड़े और कला का गहरा संबंध था।
NationPress
22/06/2025

Frequently Asked Questions

उमराव जान कब रिलीज हुई थी?
उमराव जान 1981 में रिलीज हुई थी।
फिल्म के कपड़े कैसे तैयार किए गए?
फिल्म के कपड़े लोगों के घरों और पुरानी अलमारियों से जुटाए गए थे।
फिल्म की कहानी क्या है?
यह फिल्म 19वीं सदी के लखनऊ की शाही वेशभूषा और संस्कृति को दर्शाती है।
फिल्म में कपड़ों का महत्व क्या है?
कपड़े किरदारों की भावनाओं और कहानी को व्यक्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उमराव जान का नया वर्जन कब रिलीज होगा?
उमराव जान का 4K रिस्टोर्ड वर्जन 27 जून को रिलीज होगा।