क्या है पद्मिनी कोल्हापुरे की वो कहानी, जिसने बॉलीवुड को चौंका दिया?
सारांश
Key Takeaways
- पद्मिनी कोल्हापुरे का करियर 80 के दशक में शुरू हुआ।
- महज 17 साल की उम्र में फिल्मफेयर अवॉर्ड
- उन्होंने सादगी और संवेदनशीलता के साथ किरदार निभाए।
- पद्मिनी ने कभी भी बोल्ड सीन नहीं किए।
- वह आज भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
मुंबई, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जब भी हिंदी सिनेमा का जिक्र होता है, तो 80 के दशक की कुछ अभिनेत्रियों का नाम अवश्य आता है। पद्मिनी कोल्हापुरे उनमें से एक हैं, जिनकी मुस्कान और आँखें हर किरदार में जान डाल देती थीं। उस समय जब अधिकतर अभिनेत्रियाँ ग्लैमर और डांस पर निर्भर थीं, पद्मिनी ने अपनी संजीदा अदाकारी से दर्शकों के दिलों में स्थान बनाया।
उनकी मेहनत का फल यह था कि महज 17 साल की उम्र में उन्होंने फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीता।
पद्मिनी कोल्हापुरे का जन्म 1 नवंबर 1965 को मुंबई के एक मराठी परिवार में हुआ। उनके पिता, पंढरीनाथ कोल्हापुरे, एक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और वीणा वादक थे। घर का माहौल संगीतमय होने के कारण, पद्मिनी ने बचपन से ही गायकी में रुचि ली और प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने कई फिल्मों में कोरस सिंगर के रूप में गाने गाए, जिसमें उनकी बहन शिवांगी कोल्हापुरे के साथ 'यादों की बारात' और 'किताब' जैसी फिल्में शामिल थीं।
पद्मिनी ने 10 साल की उम्र में देवानंद की फिल्म 'इश्क इश्क इश्क' में बाल कलाकार के रूप में कदम रखा। इसके बाद, उन्होंने 'सत्यम शिवम सुंदरम' में जीनत अमान के बचपन का रोल निभाया, जिसने उन्हें पहचान दिलाई। इसके बाद उन्हें बॉलीवुड के बड़े बैनर्स से कई ऑफर मिलने लगे।
साल 1980 में आई फिल्म 'इंसाफ का तराजू' ने उनके करियर को नई दिशा दी। इस फिल्म में उनकी अदाकारी इतनी प्रभावशाली थी कि उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला। धीरे-धीरे वह एक चाइल्ड आर्टिस्ट से लीड हीरोइन की ओर बढ़ीं। 1981 में राज कपूर ने उन्हें अपनी फिल्म 'प्रेम रोग' में बतौर लीड एक्ट्रेस साइन किया, जो उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ।
'प्रेम रोग' की कहानी एक ऐसे लड़की की थी जो शादी के अगले ही दिन विधवा हो जाती है और फिर समाज के कठोर नियमों से जूझती है। पद्मिनी ने इस किरदार में सच्चाई और संवेदना का अद्भुत प्रदर्शन किया, जिससे दर्शक भावुक हो उठे। फिल्म में उनके साथ ऋषि कपूर थे, और दोनों की ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री ने दर्शकों का दिल जीत लिया। इस फिल्म के लिए पद्मिनी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। उस समय उनकी उम्र केवल 17 साल थी, और इस तरह वह हिंदी सिनेमा की सबसे कम उम्र की अभिनेत्री बन गईं।
'प्रेम रोग' की सफलता के बाद, पद्मिनी 80 के दशक की सबसे व्यस्त अभिनेत्रियों में शामिल हो गईं। उन्होंने 'प्यार झुकता नहीं', 'विधाता', 'वो सात दिन', 'स्वर्ग से सुंदर', और 'आहिस्ता-आहिस्ता' जैसी फिल्मों में एक से बढ़कर एक किरदार निभाए। मिथुन चक्रवर्ती, जितेंद्र, ऋषि कपूर, और राजेश खन्ना जैसे बड़े सितारों के साथ उनकी जोड़ी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
साल 1986 में फिल्म 'ऐसा प्यार कहां' के सेट पर उन्हें फिल्म के निर्माता प्रदीप शर्मा से प्यार हो गया। जब परिवार ने इस रिश्ते को मंजूरी नहीं दी, तो पद्मिनी ने साहस दिखाते हुए घर से भागकर शादी कर ली। शादी के बाद भी उन्होंने फिल्मों में काम करना जारी रखा। उनके एक बेटा भी है, प्रियांक शर्मा, जो अब खुद भी अभिनेता हैं।
पद्मिनी अपनी सादगी और मर्यादित छवि के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कभी भी बोल्ड सीन नहीं किए। राज कपूर की फिल्म 'प्रेम रोग' में जब उनसे किसिंग सीन की मांग की गई, तो उन्होंने साफ मना कर दिया। इसके बावजूद, फिल्म सुपरहिट रही।
आज पद्मिनी कोल्हापुरे भले ही फिल्मों में कम दिखाई देती हैं, लेकिन वह सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।