क्या प्रभास ने 'बाहुबली' बनने के लिए करोड़ों रुपये ठुकराए?

Click to start listening
क्या प्रभास ने 'बाहुबली' बनने के लिए करोड़ों रुपये ठुकराए?

सारांश

प्रभास, जिन्होंने 'बाहुबली' के लिए अपने करियर के बेहतरीन पांच साल समर्पित किए, एक सच्चे कलाकार हैं। उनकी कहानी केवल फिल्मों तक सीमित नहीं है, बल्कि एक गहरी प्रतिबद्धता और त्याग का परिचायक है। जानें कैसे उन्होंने करोड़ों की कमाई को ठुकराकर अपने निर्देशक के साथ अपने सपने को साकार किया।

Key Takeaways

  • प्रभास का समर्पण और त्याग अद्वितीय है।
  • उन्होंने अपने करियर में करोड़ों का नुकसान सहा।
  • उनकी सादगी और मेहनत उन्हें खास बनाती है।
  • बाहुबली के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रेरणादायक है।
  • राजामौली के साथ उनका संबंध एक मजबूत विश्वास पर आधारित है।

मुंबई, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सिनेमा के लिए प्रभास एक युग-निर्माता हैं। 'बाहुबली' के रूप में एक ऐसा चेहरा, जिसने दक्षिण भारतीय सिनेमा को विश्व मंच पर पहचान दिलाई। हालांकि, पर्दे पर अपने विशाल और निर्भीक किरदारों के विपरीत, अभिनेता प्रभास निजी जीवन में बेहद शर्मीले और शांत स्वभाव के व्यक्ति हैं।

23 अक्टूबर 1979 को जन्मे प्रभास भारतीय सिनेमा के उन चंद सितारों में से एक हैं, जिन्होंने पर्दे पर शाही गरिमा और सहज विनम्रता दोनों को एक साथ जीवंत किया। तेलुगु सिनेमा से अपने करियर की शुरुआत करने वाले प्रभास ने ‘वरशम’, ‘छत्रपति’, और ‘मिर्ची’ जैसी फिल्मों से लोकप्रियता हासिल की, लेकिन एस.एस. राजामौली की ‘बाहुबली’ सीरीज ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

उनकी शांत स्वभाव, मेहनत और भूमिकाओं में पूर्ण समर्पण ने उन्हें साउथ से लेकर बॉलीवुड तक का प्रिय स्टार बना दिया है। प्रभास न केवल एक अभिनेता हैं, बल्कि अपनी सादगी भरे व्यक्तित्व और अनुशासित जीवनशैली से लाखों लोगों के प्रेरणास्रोत भी हैं।

वह भारतीय सिनेमा के सबसे अधिक कमाई करने वाले अभिनेताओं में से एक हैं। उन्हें 2015 की फोर्ब्स इंडिया की सेलिब्रिटी 100 सूची में शामिल किया गया था। लोग उन्हें 'रिबेल स्टार' के नाम से भी बुलाते हैं। प्रभास ने सात फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामांकन, एक नंदी पुरस्कार और एक सिम्मा पुरस्कार हासिल कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

उनकी स्टारडम की यात्रा केवल ब्लॉकबस्टर फिल्मों की नहीं, बल्कि एक ऐसे अनोखे समर्पण की कहानी है, जिसने उन्हें दौलत के लालच से ऊपर उठाकर एक निर्देशक के विजन के लिए अपने करियर के करोड़ों रुपए दांव पर लगाने को प्रेरित किया। इससे जुड़ा एक किस्सा है, जिसका जिक्र कई इंटरव्यू में मिलता है।

बात 2013 की है जब मशहूर निर्देशक एस.एस. राजामौली ने प्रभास को अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म 'बाहुबली: द बिगनिंग' के लिए चुना। यह केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक 'लाइफ कमिटमेंट' था। राजामौली ने साफ कर दिया था कि यह प्रोजेक्ट कम से कम पांच साल लेगा और प्रभास को इस दौरान किसी और फिल्म को साइन नहीं करना होगा।

प्रभास, जो उस समय तेलुगु सिनेमा के एक मशहूर और बिजी स्टार थे, उन्होंने बिना किसी हिचकिचाहट के इस शर्त को स्वीकार कर लिया। उन्होंने अपने करियर के बेहतरीन पांच साल, किसी और फिल्म को हाथ लगाए बिना, पूरी तरह से 'बाहुबली' के नाम कर दिए।

प्रभास का सबसे बड़ा त्याग केवल फिल्में न करना नहीं था, बल्कि वह निर्णय था जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। 'बाहुबली' की शूटिंग के दौरान, उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए, उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड्स से कई विज्ञापन करने के प्रस्ताव मिले। ये डील्स 8 से 10 करोड़ रुपए की मोटी रकम की थीं।

प्रभास ने उन सभी विज्ञापनों को सीधे तौर पर ठुकरा दिया। उनका तर्क सरल और मजबूत था, अगर वह विज्ञापन करते हैं, तो उन्हें 'बाहुबली' के किरदार के लिए आवश्यक लुक और फिजिक को बदलना पड़ेगा। वह नहीं चाहते थे कि कोई भी बाहरी प्रतिबद्धता उनके ध्यान को भटकाए या निर्देशक के विजन से समझौता करे। इस फैसले से उन्हें अपने करियर के पीक टाइम में करोड़ों रुपए का सीधा नुकसान हुआ।

वहीं, 'बाहुबली 2: द कन्क्लूजन' की शूटिंग पूरी होने के बाद निर्देशक एस.एस. राजामौली प्रभास के घर गए। वह प्रभास के इस अद्वितीय त्याग से गहरे प्रभावित थे। राजामौली ने प्रभास को एक लिफाफा सौंपा। जब प्रभास ने उसे खोला, तो उसमें एक 10 करोड़ रुपए का चेक था। राजामौली ने उनसे कहा कि यह रकम उनके 'बाहुबली' के लिए मेहनताना नहीं, बल्कि उन करोड़ों के विज्ञापन की भरपाई है, जो उन्होंने उनके विजन को पूरा करने के लिए ठुकराए थे। यह उनका 'हक' था।

प्रभास ने अपने विनम्र स्वभाव के अनुरूप, उस पैसे को लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने राजामौली से कहा कि उन्होंने यह फिल्म पैसे के लिए नहीं, बल्कि उस महान अनुभव और उनके साथ काम करने के सम्मान के लिए की है। उनके लिए राजामौली का विश्वास ही सबसे बड़ा पुरस्कार था।

राजामौली, प्रभास के इस समर्पण और सादगी से अभिभूत थे। बहुत समझाने के बाद ही प्रभास ने वह राशि स्वीकार की। यह घटना दर्शाती है कि प्रभास केवल एक स्टार नहीं हैं, बल्कि एक सच्चे कलाकार हैं जिन्होंने फिल्मी दुनिया की चकाचौंध से अधिक अपनी कला और अपने निर्देशक के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को महत्व दिया।

Point of View

जो न केवल भारतीय सिनेमा के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि यह दर्शाती है कि कलाकार अपनी कला के प्रति कितना समर्पित हो सकता है। यह उनकी सादगी और मेहनत का प्रमाण है, जो उन्हें आज एक महान अभिनेता बनाता है।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

प्रभास का जन्मदिन कब है?
प्रभास का जन्मदिन 23 अक्टूबर 1979 है।
प्रभास को किस फिल्म से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली?
प्रभास को एस.एस. राजामौली की 'बाहुबली' सीरीज से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली।
प्रभास ने कितने फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं?
प्रभास ने सात फिल्मफेयर पुरस्कारों के लिए नामांकन प्राप्त किया है।
प्रभास ने विज्ञापनों का प्रस्ताव क्यों ठुकराया?
प्रभास ने विज्ञापनों का प्रस्ताव इसलिए ठुकराया क्योंकि वह अपने किरदार के लुक को प्रभावित नहीं करना चाहते थे।
राजामौली ने प्रभास को कितनी रकम का चेक दिया?
राजामौली ने प्रभास को 10 करोड़ रुपये का चेक दिया।
Nation Press