क्या ऋषभ शेट्टी ने रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा करके कांतारा: चैप्टर 1 की सफलता का जश्न मनाया?

सारांश
Key Takeaways
- ऋषभ शेट्टी ने रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा की।
- 'कांतारा: चैप्टर 1' ने 500 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की।
- फिल्म की सफलता का जश्न मनाने का विशेष मौका।
- प्रगति शेट्टी ने भी फ़िल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- फिल्म दर्शकों के बीच लोकप्रिय बनी हुई है।
मुंबई, 19 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। साउथ इंडियन सिनेमा के अभिनेता ऋषभ शेट्टी की फ़िल्म 'कांतारा: चैप्टर 1' ने 500 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई कर ली है। यह फ़िल्म दर्शकों के दिलों में खास जगह बना चुकी है और अभी भी यह सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रही है।
फेस्टिवल सीज़न में इस फ़िल्म की कमाई में और भी ज़बरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसी खुशी में ऋषभ शेट्टी ने रामेश्वरम के अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर जाकर पूजा की और ईश्वर का आशीर्वाद लिया।
ऋषभ ने इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने लिखा, "रामेश्वरम के अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर में ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया और ब्लॉकबस्टर फ़िल्म कांतारा के दूसरे भाग को मिले अपार प्रेम और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। फ़िल्म अभी भी आपके नजदीकी सिनेमाघर में लगी है, यदि आपने इसे अभी तक नहीं देखा है, तो ज़रूर देखें।"
इससे पहले ऋषभ शेट्टी वाराणसी गए थे, जहां उन्होंने गंगा आरती में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने लिखा था, "काशी के पवित्र घाट मंत्रोच्चार और भक्ति से गूंज उठे। वाराणसी में पूजा-अर्चना की। यह कांतारा चैप्टर 1 की अभूतपूर्व सफलता के लिए आभार व्यक्त करने का क्षण है।"
ऋषभ ने इसके बाद बिहार के मुंडेश्वरी मंदिर, मैसूर के चामुंडेश्वरी मंदिर और नंजनगुड के श्रीकंठेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की।
हाल ही में आईएनएस को दिए एक विशेष इंटरव्यू में उन्होंने फ़िल्म में अपनी पत्नी प्रगति शेट्टी के काम की सराहना की। उन्होंने कहा, "प्रगति को दो मोर्चों पर काम करना पड़ा। वह चैप्टर 1 में एक डिजाइनर हैं और घर का भी ध्यान रखना था, इसलिए उन्होंने दोहरी भूमिकाएं निभाईं। उन्हें बच्चों की देखभाल और उनकी पढ़ाई का भी ध्यान रखना था।"
ऋषभ ने आगे बताया, "कई बार मुझे बहुत जोखिम भरे दृश्य शूट करने होते थे, जिससे प्रगति को भी तनाव बना रहता था। इसे संभालना बहुत कठिन होता है। एक डिजाइनर होने के नाते, सेट पर उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी की ड्रेस की बनावट और रंग फ़िल्म की कहानी से मेल खाएं। उन्होंने इसे बखूबी किया।"