क्या शीन दास ने नेपोटिज्म पर अपनी राय रखी?

सारांश
Key Takeaways
- नेपोटिज्म का प्रभाव एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में गहरा है।
- प्रतिभा की कद्र होनी चाहिए, न कि रिश्तों की।
- शीन का नया शो एक अनोखे किरदार की कहानी है।
मुंबई, २४ जून (राष्ट्र प्रेस)। एक्ट्रेस शीन दास ने एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में नेपोटिज्म और उसके प्रभाव पर समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत की। उन्होंने कास्टिंग में प्रतिभा और निष्पक्षता के महत्व को लेकर कहा कि कुछ लोगों को रिश्तों के कारण इस इंडस्ट्री में अवसर आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन जब प्रतिभाशाली एक्टर्स को इग्नोर कर बिना योग्यता वाले लोगों को मौका दिया जाता है, तो यह प्रतिभा के साथ खिलवाड़ की तरह होता है।
‘डाकिनी’ फेम एक्ट्रेस शीन दास ने कहा, "हर कोई अपने परिवार और दोस्तों के लिए बेहतर चाहता है, इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन, जब बिना प्रतिभा वाले लोगों को योग्य लोगों के ऊपर अवसर दिए जाते हैं, तो यह गलत है। मैं भी चाहती हूं कि मेरे दोस्त और परिवार सफल हों, लेकिन किसी और के हक या प्रतिभा की कीमत पर नहीं।"
शीन ने टेलीविजन से बॉलीवुड तक के अपने सफर के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें दोनों प्लेटफॉर्म में ज्यादा अंतर नहीं लगा। आज के दौर में टीवी एक्टर्स फिल्मों और वेब सीरीज में भी काम कर रहे हैं और इनके बीच की रेखाएं धीरे-धीरे मिट रही हैं।
उन्होंने बताया, "मुझे कोई खास अंतर नहीं लगा। आजकल टीवी कलाकार भी फिल्मों और वेब सीरीज में काम कर रहे हैं। मैंने हमेशा ऑडिशन दिए और अगर निर्देशकों को मेरा काम पसंद आया, तो मुझे मौका मिला। किसी ने मेरे बैकग्राउंड के बारे में नहीं पूछा। टीवी ने मुझे सब कुछ सिखाया और मैं इसके लिए हमेशा आभारी रहूंगी।"
शीन ने अपने नए शो ‘आमी डाकिनी: हुस्न भी, मौत भी’ के बारे में भी बात की, जो २३ जून से सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन और सोनी लिव पर प्रसारित हो रहा है।
उन्होंने बताया कि यह किरदार उनके लिए बिल्कुल नया और अनोखा है। ‘डाकिनी’ एक भूतनी नहीं, बल्कि एक इमोशन्स से भरा मुश्किल किरदार है, जो जादुई शक्तियों वाली महिला है। वह शानदार डांसर है, जो पूरे दिल से प्यार करती है, लेकिन उसे अपनों से धोखा मिलता है।
शीन ने कहा, "यह किरदार मेरे लिए एक शानदार मौका रहा। ‘डाकिनी’ ने बहुत दुख झेले, फिर भी वह अपने प्यार से दोबारा मिलने की उम्मीद रखती है।"