क्या 40 की उम्र के बाद भी रह सकते हैं फिट? जानें कौन-सी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग है सबसे असरदार
सारांश
Key Takeaways
- स्क्वाट्स से निचला शरीर मजबूत होता है।
- प्लैंक से संतुलन और पोस्चर में सुधार होता है।
- पुश-अप्स से ऊपरी शरीर की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
- लंजेस से जांघों और कूल्हों की ताकत बढ़ती है।
- नियमित व्यायाम से मेटाबॉलिज्म तेज होता है।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 40 साल की उम्र के बाद हमारे शरीर में कई महत्वपूर्ण बदलाव होते हैं, जैसे मांसपेशियों की ताकत में कमी, हड्डियों का कमजोर होना, जोड़ों में जकड़न और मेटाबॉलिज्म का धीमा होना। ये स्वाभाविक परिवर्तन हैं, लेकिन इन्हें धीमा करने के उपाय किए जा सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ प्रभावी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की विधियाँ हैं जिन पर 40 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को ध्यान देना चाहिए।
स्क्वाट्स: इस व्यायाम में जब आप अपने घुटनों और कूल्हों को मोड़ते हैं, तो आप जांघों और निचले हिस्से की मांसपेशियों को सक्रिय करते हैं। यह आपके निचले हिस्से को मजबूत करता है, जो मांसपेशियों के निर्माण के साथ-साथ चलने-फिरने में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
प्लैंक: यह पेट, पीठ और कंधों को मजबूत करता है और संतुलन में सुधार करता है। इसके लिए किसी उपकरण की आवश्यकता नहीं है; आप इसे घर, जिम या पार्क में कर सकते हैं। यह आपके पेट और पीठ की निचली मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, और बेहतर पोस्चर बनाए रखने में मदद करता है।
पुश-अप्स: यह शरीर के ऊपरी हिस्से और कोर के लिए एक प्रभावी व्यायाम है, जिसमें छाती, कंधे, ट्राइसेप्स और पेट की मांसपेशियों को मजबूत किया जाता है। इसे करने के लिए प्लैंक की स्थिति में आएं, हाथों को कंधों से थोड़ा चौड़ा रखें और शरीर को सीधा रखें। सांस लेते हुए कोहनियों को मोड़कर शरीर को नीचे लाएँ, फिर सांस छोड़ते हुए वापस प्रारंभिक स्थिति में आएं। यह मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, संतुलन में सुधार करता है और मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
लंजेस: यह निचले शरीर की मांसपेशियों जैसे कि क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग और ग्लूट्स को मजबूत करने के लिए किया जाता है। इसे करने के लिए, एक पैर को आगे बढ़ाएँ, घुटनों को मोड़ें, और शरीर को नीचे की ओर झुकाएँ। यह जांघों और कूल्हों की मांसपेशियों को आकार देता है और नियमित करने पर जांघों और कूल्हों की चर्बी कम करता है।