क्या अचानक बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर? आयुर्वेद में 'साइलेंट किलर' से बचने के उपाय क्या हैं?

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क्या अचानक बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर? आयुर्वेद में 'साइलेंट किलर' से बचने के उपाय क्या हैं?

सारांश

आज की जीवनशैली ने रक्तचाप को एक गंभीर समस्या बना दिया है। जानें आयुर्वेद के अनुसार इसके प्रभावी उपाय। क्या आप जानते हैं कि कुछ साधारण घरेलू उपायों से आप इस 'साइलेंट किलर' से बच सकते हैं? यहाँ जानें कैसे।

Key Takeaways

  • लौकी और तुलसी का जूस रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
  • सर्पगंधा की जड़ का उपयोग लाभकारी है।
  • आंवला और शहद दिल को स्वस्थ रखते हैं।
  • तनाव से बचना जरूरी है।
  • नींद का पूरा होना आवश्यक है।

नई दिल्ली, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल की जीवनशैली और खानपान ने मानव शरीर को कई रोगों से ग्रस्त कर दिया है। छोटी उम्र में ही बड़ी उम्र की बीमारियां होने लगी हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान समय में उच्च रक्तचाप की समस्या से देश के 30 फीसदी युवा जूझ रहे हैं। कुछ लोग इसे बीमारी नहीं मानते और कुछ को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं होती कि यह कैसे एक साइलेंट किलर की तरह शरीर को अंदर से खोखला कर सकता है।

आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप को वात दोष का असंतुलन माना गया है। जब शरीर में वात दोष बढ़ता है, तो उच्च रक्तचाप की समस्या धीरे-धीरे उत्पन्न होने लगती है। इसके लक्षणों में बैचेनी, घबराहट, और सिर में दर्द शामिल होते हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। उच्च रक्तचाप से ब्रेन हेमरेज, किडनी फेलियर, आंखों की रोशनी का जाना, नाक से खून आना और हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए रक्तचाप का सामान्य होना अत्यंत आवश्यक है।

आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के कई उपाय बताए गए हैं। लौकी और तुलसी का जूस इस स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक होता है। आधा कप लौकी का जूस और उसमें पांच तुलसी की पत्तियां मिलाकर सुबह खाली पेट पीना चाहिए। यह कफ और वात दोष को नियंत्रित करता है और दिल एवं पेट दोनों को ठंडक पहुँचाता है।

सर्पगंधा की जड़ भी उच्च रक्तचाप में लाभकारी होती है। रात में सर्पगंधा की जड़ को भिगोकर रखें और सुबह इसे उबालकर पी लें। आप बाजार में उपलब्ध चूर्ण का भी उपयोग कर सकते हैं। यह उच्च रक्तचाप की गति को नियंत्रित करता है। आंवला और शहद का सेवन भी फायदेमंद है। रोज सुबह एक चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ लेने से दिल को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

इसके अतिरिक्त, शोधन क्रिया भी की जा सकती है, जो शरीर की गंदगी को बाहर निकालने में मदद करेगी और कई रोगों से बचाएगी। उच्च रक्तचाप की समस्या में अधिक तनाव से बचें और सिगरेट, शराब और कैफीन का सेवन न करें। पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है।

Point of View

यह कहना जरूरी है कि उच्च रक्तचाप एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसका सही समय पर उपचार और प्रबंधन आवश्यक है। आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
NationPress
11/10/2025

Frequently Asked Questions

उच्च रक्तचाप के क्या लक्षण होते हैं?
उच्च रक्तचाप के लक्षणों में बैचेनी, घबराहट और सिर में दर्द शामिल होते हैं।
आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
लौकी और तुलसी का जूस, सर्पगंधा की जड़ और आंवला-शहद का सेवन प्रभावी उपाय हैं।
क्या उच्च रक्तचाप गंभीर हो सकता है?
हाँ, उच्च रक्तचाप से ब्रेन हेमरेज, किडनी फेलियर और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं हो सकती हैं।