क्या मानव शरीर में अपेंडिक्स काम करता है? जानें आयुर्वेद में देखभाल के तरीके

सारांश
Key Takeaways
- अपेंडिक्स का कार्य पाचन में सहायता करना है।
- आयुर्वेद में इसका उपचार संभव है।
- हल्का और प्रोटीनयुक्त भोजन अपेंडिक्स की समस्याओं को कम करता है।
- नियमित योग और टहलना फायदेमंद है।
- कच्चे केले और त्रिफला का सेवन लाभदायक होता है।
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मानव शरीर में अपेंडिक्स एक महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारी बड़ी आंत से जुड़ा होता है, लेकिन इसका आकार बहुत छोटा होता है। यह एक पतली पाइप के रूप में दिखाई देता है। क्या आप जानते हैं कि यह हमारी पाचन शक्ति को बनाए रखने में कितना आवश्यक है?
इसकी लंबाई 2 से 3 इंच होती है और इसका मुख्य कार्य आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को सुरक्षित रखना और पेट की पाचन क्रिया को सुधारना है।
जब शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की कमी हो जाती है, तो यह ट्यूब पाचन प्रणाली को सुचारू रूप से चलाने में सहायता करती है। हालांकि, कभी-कभी संक्रमण के कारण अपेंडिक्स में सूजन आ जाती है। इसके परिणामस्वरूप पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार और उल्टी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
कभी-कभी अधिक गंभीर स्थिति में यह अंग फट सकता है, जिससे पेट में जहर फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है। तेज दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन हल्की समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक उपाय अपनाए जा सकते हैं।
आयुर्वेद में इस समस्या को वात और पित्त की असंतुलन के रूप में देखा गया है। जब दोनों में असंतुलन होता है, तो अपेंडिक्स में परेशानी बढ़ सकती है। शुरुआती दर्द में आयुर्वेद की सहायता लेना लाभदायक हो सकता है।
इसके लिए त्रिफला का चूर्ण उपयोगी सिद्ध होता है। इसे गर्म पानी के साथ लेने से राहत मिलती है। कच्चे केले का सेवन भी अपेंडिक्स से जुड़ी समस्याओं में सहायक होता है, क्योंकि यह पाचन को सही करता है और अपेंडिक्स पर दबाव कम करता है।
इसके अतिरिक्त, अरंडी का तेल भी फायदेमंद है। सोने से पहले दूध के साथ इसका सेवन सूजन को कम करने में सहायक होता है। इसमें मौजूद रिसिनोलिक एसिड सूजन रोधी है। यह न केवल अपेंडिक्स की सूजन, बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों में भी सूजन को नियंत्रित करता है।
हल्का और प्रोटीनयुक्त भोजन भी अपेंडिक्स की समस्याओं को कम करता है। जितना हल्का खाना होगा, पचाने में उतनी ही आसानी होगी और अपेंडिक्स पर दबाव नहीं पड़ेगा। नियमित योग, टहलना और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से भी राहत मिलती है।