क्या बार-बार छींक आना सर्दी नहीं बल्कि एलर्जी का संकेत है?
सारांश
Key Takeaways
- बार-बार छींक एलर्जी का संकेत हो सकता है।
- शुष्क हवा और प्रदूषण से नाक में इरिटेशन हो सकता है।
- घरेलू उपायों से राहत पाई जा सकती है।
- हल्दी वाला दूध शरीर को गर्म रखता है।
- नाक के आसपास सफाई जरूरी है।
नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। छींक को अक्सर सर्दी और जुकाम से जोड़ा जाता है, लेकिन जब यह बार-बार होने लगे या लगातार आती रहे, तो यह एक समस्या बन जाती है। बार-बार आती हुई छींक सर्दी या जुकाम का संकेत नहीं है, बल्कि यह एलर्जी का संकेत हो सकता है। इससे सिर में दर्द और साइनस की समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
सर्दियों में हवा शुष्क हो जाती है, जिससे नाक की नमी कम होती है और यह सांस लेने में कठिनाई का कारण बनता है, जो आगे चलकर संक्रमण का कारण बन सकता है। इसके अलावा, हवा में मौजूद प्रदूषण भी फेफड़ों और नाक में संक्रमण उत्पन्न कर सकता है। बार-बार छींक से बचने के लिए कई घरेलू उपाय आयुर्वेद में मौजूद हैं, लेकिन उससे पहले इसके कारण और लक्षणों के बारे में विस्तार से जानना आवश्यक है।
बार-बार छींक आने की समस्या सर्द हवा के सीधे नाक में टकराने के कारण हो सकती है, जिससे नाक के भीतरी हिस्से में इरिटेशन होती है। इस कारण आंखों और नाक से पानी बहने लगता है। धुएं के संपर्क में आने पर नाक में खुजली और आंखों में जलन होती है। रात के समय अचानक छींक बढ़ जाती है, जिससे सीने में कफ जमने लगता है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। स्थिति गंभीर होने पर नींद भी नहीं आती।
इन सभी समस्याओं से बचने के लिए नाक को हमेशा कपड़े से ढककर रखें, ताकि सीधी हवा नाक पर न पड़े। दूसरा, ठंडे पानी के सेवन से बचें और सुबह और शाम भाप लें। इससे नाक में नमी बनी रहेगी और इरिटेशन कम होगी। तीसरा, रात के समय नाक में अणु या तिल का तेल दो बूंद डालें। इससे संक्रमण कम होगा और नमी बनी रहेगी।
चौथा, रात के समय हल्दी वाले दूध का सेवन करें। यह शरीर को अंदर से गर्म रखेगा और बाहरी वातावरण से बचाएगा। पांचवा, रोजाना कुछ समय के लिए धूप में बैठें और साथ में विटामिन सी से भरपूर खट्टे फलों का सेवन करें। इसके अलावा, नाक के आसपास सफाई रखना न भूलें।