बच्चे को दूध कब पिलाना चाहिए? डॉक्टर ने दी उपयोगी सलाह

सारांश
Key Takeaways
- बच्चे को हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाना चाहिए।
- बच्चे की भूख को समझना महत्वपूर्ण है।
- रात में बच्चे को खुद उठकर दूध मांगने पर ही देना चाहिए।
- छह महीने के बाद दूध पिलाने की आवृत्ति कम हो जाती है।
- बच्चे के संकेतों को समझकर दूध देना चाहिए।
नोएडा, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मां बनना एक अद्भुत अनुभव है, लेकिन इसके साथ कई जिम्मेदारियां भी आती हैं। नवजात शिशु की देखभाल, पोषण और उसकी आवश्यकताओं को समझना एक मां के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन वह इसे आसानी से कर लेती है। सबसे बड़ी दुविधा यह रहती है कि बच्चे को दूध कब और कैसे पिलाना चाहिए।
नई माताओं के मन में अक्सर यह प्रश्न होता है कि बच्चे को दूध कब और कितनी बार देना चाहिए। कुछ माताएँ घड़ी देखकर फीड करती हैं, जबकि कुछ बच्चे के रोने का इंतजार करती हैं। लेकिन क्या यही सही तरीका है? बच्चे की भूख को समझने और समय पर दूध देने के लिए मां को कुछ खास बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
नोएडा के सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनोकॉलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने इस विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
डॉ. पाठक बताती हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सिफारिश है कि नवजात शिशु को हर दो से तीन घंटे के अंतराल पर दूध पिलाना चाहिए। हालांकि, इसे केवल घड़ी देखकर नहीं करना चाहिए। पहले दो से तीन हफ्ते में, बच्चे को अधिक सोने दिया जाना चाहिए। इस दौरान मां को बच्चे को समय-समय पर जगाकर दूध पिलाना चाहिए ताकि वह भूखा न रहे। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, दूध पिलाने का समय उसकी भूख के अनुसार होना चाहिए।
डॉ. पाठक ने बताया कि दो से छह महीने के बच्चों को पूरे दिन में लगभग 8 से 12 बार दूध पिलाना चाहिए। इस उम्र में दूध पिलाना डिमांड पर आधारित होना चाहिए। जब बच्चा भूखा हो, तभी उसे दूध देना चाहिए।
रात के समय यदि बच्चा खुद उठकर दूध मांगता है, तभी उसे दूध दिया जाना चाहिए। मां को उसे जबरदस्ती नींद से जगाकर फीड नहीं कराना चाहिए।
छह महीने के बाद जब बच्चे को टॉप फीड यानी पूरक आहार दिया जाता है, तब दूध पीने की मांग कम हो जाती है। इस अवस्था में बच्चा आमतौर पर 5 से 6 बार ही दूध पीता है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे के संकेतों को बारीकी से समझना चाहिए।
डॉ. पाठक कहती हैं कि जब बच्चा हाथों को मुंह में डालने लगे या हल्का-हल्का रोने लगे, तो ये संकेत हैं कि वह भूखा है। ऐसे में उसे तुरंत दूध देना चाहिए, जोर से रोने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
हर बच्चे का फीडिंग करने का तरीका अलग होता है। कुछ बच्चे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार दूध पीते हैं, जबकि कुछ एक बार में ही पर्याप्त दूध पीते हैं। मां को अपने बच्चे की आदत और जरूरतों को समझकर उसे फीड कराना चाहिए।
मां की भूमिका केवल दूध पिलाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि उसकी हर छोटी-बड़ी आवश्यकता को समय पर पहचानना और पूरा करना भी उसकी जिम्मेदारी है। सही जानकारी, धैर्य और समझदारी से मां न केवल बच्चे का पोषण कर सकती है, बल्कि उसके सम्पूर्ण विकास की नींव भी रख सकती है।