क्या आप 'भारद्वाजासन' करके शारीरिक और मानसिक संतुलन प्राप्त कर सकते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- शारीरिक संतुलन के लिए नियमित अभ्यास करें।
- मानसिक शांति के लिए ध्यान केंद्रित करें।
- गहरी सांस लेना न भूलें।
- अपनी क्षमता के अनुसार समय निर्धारित करें।
- ट्रेनर की देखरेख में अभ्यास करें।
नई दिल्ली, १३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की व्यस्त जीवनशैली में स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है। तनाव, अनियमित दिनचर्या और अस्वास्थ्यकर खानपान के कारण हमारे शरीर और मन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे में योग एक प्रभावी उपाय है, जो हमें शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है। आज हम चर्चा करेंगे 'भारद्वाजासन' की, जो एक प्राचीन योगासन है और इसके बारे में बहुत से लोग अनजान हैं। यह आसन न केवल शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि कई स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है।
भारद्वाजासन पूरे शरीर को सक्रिय रखता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह आसन वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करता है, विशेषकर यह पाचन तंत्र और तनाव से संबंधित समस्याओं में प्रभावी होता है। यह योगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और शरीर में ऊर्जा का संचार करता है।
इस आसन में लगभग ३० से ४० सेकंड तक रहने के साथ शुरुआत की जा सकती है। आप अपनी क्षमता के अनुसार समय को निर्धारित कर सकते हैं। आसन के दौरान गहरी सांस लेते रहें। इसे सुबह या शाम खाली पेट करना सबसे उपयुक्त होता है। इस योगासन को किसी ट्रेनर की देखरेख में करना चाहिए।
नियमित रूप से भारद्वाजासन करने से रीढ़ और कंधों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। यह पेट की गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, यह तनाव और चिंता को कम करने में भी सहायक है।
यह मन को शांत करता है और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। ऋषियों का मानना था कि यह आसन प्राण, वायु और मन को संतुलित करता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
भारद्वाजासन एक शक्तिशाली योगासन है, जो शरीर और मन को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर आप न केवल शारीरिक रूप से फिट रह सकते हैं, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता भी प्राप्त कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं, रीढ़ की गंभीर समस्या वाले व्यक्तियों या हाल ही में सर्जरी करवाने वालों को इसे करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसे जल्दबाजी में न करें, बल्कि धीरे-धीरे और सावधानी से अभ्यास करें।