क्या ज्वार का रस सेहत के लिए वरदान है? जानें आयुर्वेद की राय
सारांश
Key Takeaways
- ज्वार का रस सेहत के लिए बेहद लाभकारी है।
- यह कई गंभीर बीमारियों से बचाता है।
- घर पर इसे बनाना आसान और सस्ता है।
- नवजात से लेकर बुजुर्ग तक सभी लोग इसका सेवन कर सकते हैं।
- ताजा रस का सेवन अधिक फायदेमंद होता है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के तेज रफ्तार जीवन और अस्वस्थ खान-पान ने हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना कमजोर बना दिया है कि साधारण बीमारियां भी पकड़ में ले लेती हैं। बार-बार डॉक्टर के पास जाना और महंगी दवाइयों का उपयोग करना अब सामान्य हो गया है। लेकिन प्रकृति ने हमें एक ऐसा सस्ता और प्रभावी उपाय प्रदान किया है जो न केवल बीमारियों से बचाता है, बल्कि गंभीर समस्याओं में भी राहत देता है - वह है ज्वार का रस।
आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में इसे 'हरा खून' कहा जाता है और वर्षो से इसका उपयोग स्वास्थ्य सुधार के लिए किया जाता रहा है। इसकी संरचना मानव रक्त के समान है। इस पर कई शोध किए गए हैं और वैज्ञानिक मानते हैं कि यह कई गंभीर रोगों के उपचार में सहायक हो सकता है। उनके प्रयोगों में कई बीमारियों में आश्चर्यजनक लाभ देखे गए हैं।
ज्वार का रस में सभी आवश्यक विटामिन जैसे ए, बी, सी, ई और के के साथ-साथ खनिज लवण, क्षारीय तत्व और प्रोटीन भी स्वाभाविक रूप से होते हैं। नियमित सेवन से डायबिटीज, हृदय रोग, लिवर-किडनी की कमजोरी, गठिया, जोड़ों का दर्द, पथरी, अस्थमा, पीलिया, लकवा, त्वचा रोग, बालों का झड़ना, आंखों की कमजोरी, कब्ज, गैस, एलर्जी जैसे सैकड़ों रोगों में लाभ होता है।
अच्छी बात यह है कि यह रस घर पर बेहद सस्ते में बनाया जा सकता है। इसके लिए रासायनिक खाद रहित मिट्टी में अच्छी गुणवत्ता के गेहूं बोए जाते हैं। 8-10 दिन में 5-7 इंच ऊंचे हरे ज्वारे तैयार हो जाते हैं। इन्हें कैंची से काटकर तुरंत धोया जाता है और सिलबट्टे या जूसर से रस निकाला जाता है। ताजा रस अधिक लाभकारी होता है, इसलिए 3 घंटे से अधिक पुराना रस नहीं पीना चाहिए।
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि ज्वार का रस पीने से शुरुआत में कुछ लोगों को उबकाई या हल्की सर्दी हो सकती है, जो शरीर से जमा विषाक्त पदार्थ बाहर निकलने का संकेत है। स्वाद बेहतर बनाने के लिए शहद, अदरक या पान के पत्ते का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन नमक-नींबू कभी नहीं डालना चाहिए।
आयुर्वेदाचार्य यह भी बताते हैं कि यह रस दूध और मांस से कई गुना ज्यादा पौष्टिक है और इसे कोई भी आसानी से ले सकता है। नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग तक सभी उम्र के लोग इसका सेवन कर सकते हैं। रोज सुबह खाली पेट 100 से 200 एमएल रस पीने से कुछ ही हफ्तों में शरीर में नई ताजगी, चमक और कार्यक्षमता महसूस होने लगती है।
ज्वार का रस कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने में मदद करता है, लेकिन इसका उपयोग करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।