क्या ठंडी हवा से बुज़ुर्ग हाइपोथर्मिया के खतरे में हैं?

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क्या ठंडी हवा से बुज़ुर्ग हाइपोथर्मिया के खतरे में हैं?

सारांश

सर्दियों में ठंड से बुजुर्गों को हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। उनकी शारीरिक क्षमता कमज़ोर होती है, जिससे थोड़ी ठंड भी जानलेवा हो सकती है। इस लेख में ठंड से बचाव के उपाय और हाइपोथर्मिया के खतरों पर चर्चा की गई है।

Key Takeaways

  • हाइपोथर्मिया
  • बुजुर्गों के लिए ठंड एक गंभीर खतरा है।
  • सुरक्षा के लिए कमरे का तापमान बनाए रखें।
  • लेयरिंग पहनें और सिर, हाथ और पैर को ढकें।
  • गर्मी बनाए रखने के लिए हल्का गर्म पेय पिएं।

नई दिल्ली, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों की ठंड केवल शरीर को नहीं, बल्कि बुजुर्गों के लिए यह एक धीमी और खतरनाक लड़ाई बन जाती है। जब तापमान अचानक गिरता है, तो शरीर अपने तापमान को सामान्य रखने में संघर्ष करता है। लेकिन बुजुर्गों में यह क्षमता कमज़ोर हो जाती है। उनकी त्वचा पतली होती है, मांसपेशियां कमजोर, ब्लड सर्कुलेशन धीमा और थर्मोरेग्यूलेशन यानी शरीर का तापमान नियंत्रित करने की प्रणाली पहले जैसी सक्रिय नहीं रहती। ऐसे में थोड़ी सी ठंड भी हाइपोथर्मिया में बदल सकती है।

हाइपोथर्मिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और संपूर्ण प्रणाली लड़खड़ाने लगती है।

हाइपोथर्मिया की सबसे चालाक बात यह है कि यह धीरे-धीरे हमला करता है। शुरुआत होती है हल्की कंपकंपी, सुस्ती और ध्यान भटकने से। लेकिन बुजुर्गों में कंपकंपी की क्षमता भी कम हो जाती है, इसलिए कई बार उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनका शरीर खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है। जब मस्तिष्क तक पर्याप्त गर्म खून नहीं पहुंच पाता, तो व्यक्ति का व्यवहार बदलने लगता है; वह सामान्य बातों का जवाब नहीं दे पाता, चिड़चिड़ा हो जाता है या असामान्य बातें करने लगता है। यह भ्रम अक्सर परिवार वाले उम्र के असर और भूलने की बीमारी समझ लेते हैं, जबकि असल में शरीर धीरे-धीरे बंद होने की ओर बढ़ रहा होता है।

'इमरजेंसी डिपार्टमेंट में बुजुर्गों में कम तापमान के कारण मृत्यु दर (जैने अलकारे एट अल., 2022) को लेकर फिनलैंड में एक शोध हुआ। 75 साल और उससे अधिक उम्र वालों को इसमें शामिल किया गया। शोध-अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि सर्दियों (या ठंडे वातावरण) में बुजुर्गों के लिए हाइपोथर्मिया केवल ठंड लगने की समस्या नहीं, बल्कि मृत्यु का एक महत्वपूर्ण कारण बन सकता है।

ठंड बढ़ने पर दिल और ब्लड वेसल्स को भी जोर लगाना पड़ता है। हार्ट रेट बढ़ता है, ब्लड प्रेशर ऊपर जाता है, और अगर व्यक्ति पहले से ही दिल की बीमारी से ग्रस्त है, तो यह हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ा सकता है। सांसें उथली होने लगती हैं, मांसपेशियों पर नियंत्रण कम होता है, और व्यक्ति अचानक गिर भी सकता है। कई बुजुर्ग घर के अंदर फिसलकर चोटिल हो जाते हैं क्योंकि ठंड से उनकी चाल और भी धीमी और अस्थिर हो जाती है।

डॉक्टरों के अनुसार, हाइपोथर्मिया से बचाव करना कठिन नहीं है, बस सतर्कता जरूरी है। घर के कमरे का तापमान 18–21 डिग्री सेल्सियस के बीच बनाए रखना चाहिए। कई बुजुर्ग एक ही मोटा कंबल ओढ़कर पूरी रात ठिठुरते रहते हैं, जबकि परतों में कपड़े पहनना (लेयरिंग) अधिक सुरक्षित होता है। सिर, हाथ और पैर को ढककर रखना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि शरीर की सबसे ज्यादा गर्मी इन्हीं हिस्सों से निकलती है। ज्यादा देर तक हार्ड फ्लोर पर न बैठें, गीले कपड़े तुरंत बदलें, और सोने से पहले हल्का गर्म पेय शरीर को अंदर से सुरक्षित रखता है।

Point of View

हमें यह समझना आवश्यक है कि बुजुर्गों की सुरक्षा हमारे समाज की प्राथमिकता होनी चाहिए। ठंड के मौसम में हाइपोथर्मिया जैसे खतरों से बचाव के लिए जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

हाइपोथर्मिया क्या है?
हाइपोथर्मिया एक ऐसी स्थिति है जब शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।
बुजुर्गों को हाइपोथर्मिया से कैसे बचाया जा सकता है?
बुजुर्गों को गर्म कपड़े पहनने, घर का तापमान नियंत्रित रखने और गीले कपड़े तुरंत बदलने की सलाह दी जाती है।
हाइपोथर्मिया के लक्षण क्या हैं?
हाइपोथर्मिया के लक्षणों में कंपकंपी, सुस्ती, और चिड़चिड़ापन शामिल हैं।
ठंड में बुजुर्गों को क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
बुजुर्गों को ठंड में लेयरिंग करना चाहिए, सिर, हाथ और पैर को ढककर रखना चाहिए।
क्या हाइपोथर्मिया जानलेवा हो सकता है?
हाँ, अगर समय पर उपचार नहीं किया जाए तो हाइपोथर्मिया जानलेवा हो सकता है।
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