क्या गलत जीवनशैली हर्निया का कारण बन सकती है? आयुर्वेदिक उपाय दिला सकते हैं आराम

सारांश
Key Takeaways
- गलत जीवनशैली हर्निया का कारण बन सकती है।
- आयुर्वेदिक उपाय से राहत मिल सकती है।
- त्रिफला, अदरक और आंवला उपयोगी हैं।
- योग और व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।
- हर्निया के लक्षणों की पहचान महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, १६ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। गलत जीवनशैली कई बीमारियों को जन्म देती है। सही खानपान, व्यायाम और तनावमुक्त जीवन जीने से कई रोगों से बचा जा सकता है, लेकिन आज की तेज़ी से बदलती ज़िंदगी में ऐसा करना कई बार कठिन हो जाता है।
गलत जीवनशैली के कारण धीरे-धीरे शरीर बीमारियों का घर बन जाता है। ऐसी ही एक बीमारी है हर्निया, जिसकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है, लेकिन नज़रअंदाज़ करने पर स्थिति सर्जरी तक पहुँच जाती है।
हर्निया के कई कारण होते हैं। यह तब होता है जब शरीर की मांसपेशियों की दीवार कमजोर हो जाती है। कई मामलों में हर्निया एक गांठ या हवा की गांठ जैसी दिखती है, लेकिन लेटने और चलने पर यह दिखाई नहीं देती। इसके अलावा, कब्ज, लगातार भारी सामान उठाने, और बार-बार होने वाली खांसी भी इसके कारण बन सकती हैं। इन कारणों से शरीर के कुछ हिस्सों पर भारी दबाव पड़ता है और मांसपेशियों की दीवार टूटने का खतरा बढ़ जाता है। कभी-कभी यह अनुवांशिक और उम्र संबंधी परेशानियों के कारण भी होता है।
हर्निया के कई लक्षण होते हैं। जिस भाग में यह होता है, वहां हल्का दर्द महसूस होता है, अचानक सूजन, पेट में भारीपन, बुखार और उल्टी की समस्या भी हो सकती है। हर्निया होने पर पहले दवा और बाद में सर्जरी का सहारा लिया जाता है, लेकिन प्रारंभिक चरण में आयुर्वेदिक उपायों का भी सहारा लिया जा सकता है।
आयुर्वेदिक उपाय से हर्निया के दर्द और सूजन में काफी हद तक आराम मिल सकता है। त्रिफला के चूर्ण का सेवन लाभकारी होता है, जिसमें विटामिन C, एंटीऑक्सीडेंट्स, जिंक और आयरन भरपूर होते हैं, जो कब्ज को नियंत्रित करते हैं और शौच के समय शरीर पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता।
अदरक और शहद का सेवन भी हर्निया में फायदेमंद होता है। इनका संयोजन पाचन की गति को बढ़ाता है और भोजन को आसानी से पचाने में मदद करता है।
इसके अलावा, आप आंवला का सेवन कर सकते हैं। आंवले में विटामिन C होता है, जो मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है, जिससे हर्निया होने की संभावना कम होती है।
योग और व्यायाम भी मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। हर्निया से बचने के लिए स्ट्रैचिंग, वज्रासन और पवनमुक्तासन करना चाहिए।