क्या 'इम्पोस्टर सिंड्रोम' आपकी योग्यता पर संदेह पैदा कर रहा है?

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क्या 'इम्पोस्टर सिंड्रोम' आपकी योग्यता पर संदेह पैदा कर रहा है?

सारांश

इम्पोस्टर सिंड्रोम एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी उपलब्धियों को संयोग समझता है। यह समस्या सामान्य है और कई प्रसिद्ध लोग भी इससे प्रभावित रहे हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की मनोवैज्ञानिक वजहों और इससे निपटने के तरीके।

Key Takeaways

  • इम्पोस्टर सिंड्रोम से लोग अपनी योग्यता पर संदेह करते हैं।
  • यह स्थिति महिलाओं में अधिक देखी जाती है।
  • 82% लोग कभी न कभी इस समस्या का सामना करते हैं।
  • प्रसिद्ध लोग भी इस सिंड्रोम से प्रभावित रहे हैं।
  • थेरेपी और आत्म-संवाद मदद कर सकते हैं।

नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। क्या आपने कभी यह अनुभव किया है कि आपकी उपलब्धियाँ केवल किसी किस्मत या अवसर का परिणाम हैं और आप वास्तव में उतने सक्षम नहीं हैं जितना लोग मानते हैं? यदि हाँ, तो संभवतः आप ‘इम्पोस्टर सिंड्रोम’ से गुजर रहे हैं।

इम्पोस्टर सिंड्रोम की अवधारणा 1978 में अमेरिकी मनोवैज्ञानिकों पाउलीन क्लांस और सुजैन इम्स द्वारा बनाई गई थी। उन्होंने देखा कि कई अचीवर (मुख्यतः महिलाएँ) अपनी उपलब्धियों को मेहनत या योग्यता का परिणाम मानने के बजाय, केवल संयोग या दूसरों की सहायता का नतीजा मानती थीं।

हालांकि यह विचार 1978 में प्रस्तुत किया गया था, 2021 के एक अध्ययन में पता चला कि लगभग 82 प्रतिशत लोग कभी न कभी ‘इम्पोस्टर’ सिंड्रोम का अनुभव करते हैं। यह अध्ययन इस मानसिक स्थिति की व्यापकता को दर्शाता है, जो अचीवर्स में सामान्य है।

इम्पोस्टर सिंड्रोम एक मनोवैज्ञानिक अवस्था है जिसमें व्यक्ति स्वयं को “धोखेबाज” मानने लगता है। इसमें व्यक्ति अपनी सफलता को अपनी मेहनत या योग्यता का परिणाम नहीं मानता। इसके बजाय, वह सोचता है कि वह “बाहर से देखे जाने वाले” मानदंडों पर खरा नहीं उतरता और कोई भी जल्द ही उसकी असली पहचान का पता लगा लेगा।

दिलचस्प बात यह है कि इस सिंड्रोम से कई प्रसिद्ध लोग भी जूझ चुके हैं। उदाहरण के लिए, अभिनेत्री मेरील स्ट्रीप ने स्वीकार किया कि उन्होंने कई वर्षों तक महसूस किया कि वे अपने पुरस्कारों के हकदार नहीं हैं। इसी प्रकार, संगीतकार लुडेविग वैन बीथोवेन के जीवन में भी यह भावना देखी गई कि वह जो प्राप्त कर रहे हैं, उसके डिजर्व नहीं हैं।

भारत में भी सेल्फ डाउट करने वालों की कमी नहीं है। इस सूची में अनन्या पांडे और सान्या मल्होत्रा का नाम शामिल है। दोनों ने स्वीकार किया कि उन्हें अपनी योग्यता पर हमेशा संदेह रहता है। पर्दे पर जो देखती हैं, लगता है कि वे इसमें नहीं हैं। सान्या ने यह भी कहा कि उन्होंने थेरेपी ली जिससे उन्हें काफी लाभ हुआ।

Point of View

बल्कि पेशेवर जीवन में भी बाधाएँ उत्पन्न करती है। यह आवश्यक है कि हम इस विषय पर खुलकर बात करें और एक-दूसरे को समर्थन प्रदान करें।
NationPress
04/10/2025

Frequently Asked Questions

इम्पोस्टर सिंड्रोम क्या है?
इम्पोस्टर सिंड्रोम एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी उपलब्धियों को संयोग समझता है और अपनी योग्यता पर संदेह करता है।
क्या इम्पोस्टर सिंड्रोम सामान्य है?
हाँ, कई लोग, विशेषकर अचीवर्स, इस स्थिति का अनुभव करते हैं।
इम्पोस्टर सिंड्रोम से कैसे निपटें?
थेरेपी, आत्म-संवाद, और सकारात्मक सोच के माध्यम से इससे निपटा जा सकता है।