क्या कढ़ी-चावल स्वाद और सेहत के साथ-साथ रोगी भी बना सकता है?

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क्या कढ़ी-चावल स्वाद और सेहत के साथ-साथ रोगी भी बना सकता है?

सारांश

क्या आप जानते हैं कि कढ़ी-चावल केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है? इस पारंपरिक डिश के लाभ और हानियों के बारे में जानें और सही तरीके से इसका सेवन कैसे करें, ये भी जानें।

Key Takeaways

  • कढ़ी-चावल एक स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन है।
  • सही समय और मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए।
  • कढ़ी में दही होती है, जो प्रोबायोटिक है।
  • कढ़ी को ताजा बनाना जरूरी है।
  • शुगर के मरीजों को कढ़ी-चावल से परहेज करना चाहिए।

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर भारत में कढ़ी-चावल एक प्राचीन व्यंजन है, जिसे अद्भुत स्वाद के साथ परोसा जाता है। यह डिश केवल स्वाद में नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है। कढ़ी एक प्रोबायोटिक व्यंजन है, क्योंकि इसमें दही शामिल होती है, जो पेट और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए लाभकारी होती है।

हर आयु के लोग कढ़ी-चावल का सेवन पसंद करते हैं, लेकिन गलत समय पर और गलत मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। भारत के विभिन्न राज्यों में कढ़ी-चावल बनाने की विधि अलग होती है। पंजाब में पंजाबी कढ़ी यानी पकौड़े वाली कढ़ी प्रसिद्ध है। वहीं, गुजरात में मीठी कढ़ी बनाई जाती है, जिसमें कई प्रकार की सब्जियाँ होती हैं, लेकिन इसमें बेसन का इस्तेमाल नहीं होता।

पारंपरिक कढ़ी में प्रचुर मात्रा में बेसन, हींग, कड़ी पत्ते और लहसुन का उपयोग किया जाता है, जो इसे स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक बनाता है।

हालांकि कढ़ी की तासीर गर्म होती है, लेकिन दही के कारण यह पौष्टिकता प्रदान करती है। इसके अलावा, कढ़ी को डिटॉक्स व्यंजन भी माना जा सकता है, क्योंकि इसमें मौजूद कड़ी पत्ता, हींग और हल्दी पेट को साफ करते हैं और आंतों में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया का नाश करते हैं। यह पेट की समस्याओं जैसे कब्ज में भी राहत प्रदान करती है।

कढ़ी-चावल एक हल्का और सात्विक भोजन है। अगर कढ़ी में तले हुए पकौड़ों का प्रयोग न किया जाए और हरी सब्जियाँ जैसे पालक, बथुआ, या मेथी का उपयोग किया जाए, तो कढ़ी को और भी पौष्टिक बनाया जा सकता है। इसके साथ चावल का संयोजन पेट को ठंडा रखता है। कढ़ी चावल के फायदों के बारे में तो आप जान गए, अब इसके नुकसान भी जान लेते हैं।

गलत समय पर खाने पर यह व्यंजन हानिकारक हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, अगर कफ की समस्या है तो कढ़ी-चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। कढ़ी में दही होता है, जो कफ को बढ़ाने में सहायक होता है। जुकाम के दौरान भी कढ़ी का सेवन नहीं करना चाहिए।

शुगर के मरीजों को कढ़ी-चावल से परहेज करना चाहिए, क्योंकि यह रक्त में शर्करा को अचानक बढ़ा सकती है। किसी भी तरह का चावल शुगर के मरीजों को नहीं देना चाहिए। इसके अलावा, रात के समय दही या दही से बने व्यंजन का सेवन नहीं करना चाहिए। हमेशा ताजा कढ़ी का सेवन करना चाहिए। ताजा कढ़ी से लाभ मिलता है, जबकि बासी कढ़ी पेट में गैस और कब्ज की समस्या कर सकती है।

Point of View

बल्कि इसका सेवन सही तरीके से करना अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य के लिए इसके लाभों और हानियों को समझना जरूरी है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या कढ़ी-चावल सभी के लिए सुरक्षित है?
नहीं, कढ़ी-चावल का सेवन कुछ स्थितियों में हानिकारक हो सकता है, जैसे कफ या जुकाम के दौरान।
कढ़ी में क्या उपयोग होता है?
पारंपरिक कढ़ी में बेसन, हींग, कड़ी पत्ते और दही का उपयोग होता है।
क्या कढ़ी-चावल वजन बढ़ाने में मदद कर सकता है?
अगर उचित मात्रा में खाया जाए, तो यह वजन बढ़ा सकता है, लेकिन सही सामग्री का चुनाव जरूरी है।
कढ़ी का सेवन कब करना चाहिए?
कढ़ी का सेवन दिन के समय करना बेहतर होता है, रात में नहीं।
क्या शुगर के मरीज कढ़ी खा सकते हैं?
शुगर के मरीजों को कढ़ी-चावल से बचना चाहिए, क्योंकि यह रक्त में शर्करा को बढ़ा सकता है।