क्या दुनिया के 1.4 करोड़ से ज्यादा बच्चे 2024 में वैक्सीन की सिंगल डोज से रह गए हैं महरूम?

सारांश
Key Takeaways
- 1.4 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ।
- टीकाकरण में कमी के मुख्य कारण हैं सहायता में कमी और गलत जानकारी।
- खसरे का टीका 84% बच्चों को मिला।
- हर जगह 95% बच्चों को टीका लगाना आवश्यक है।
- सरकारों को स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत करनी चाहिए।
नई दिल्ली, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। संयुक्त राष्ट्र की दो प्रमुख संस्थाएं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूनिसेफ, ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर 1.4 करोड़ से अधिक बच्चों को टीकाकरण नहीं किया गया है। इनमें से किसी को भी वैक्सीन की एक डोज भी नहीं मिली।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले साल लगभग 2 करोड़ छोटे बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी (डीटीपी) से सुरक्षा के लिए टीकों की एक खुराक भी प्राप्त नहीं हुई। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि इससे बच्चों की जान को खतरा हो सकता है।
तीन करोड़ से अधिक बच्चों को खसरे का टीका ठीक से नहीं मिल पाया, जिसके परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में खसरे के मामलों में वृद्धि हुई।
2024 में खसरे का प्रकोप 60 देशों में देखा गया, जबकि 2022 में ऐसे मामले केवल 33 देशों में थे।
रिपोर्ट में यह भी दर्शाया गया है कि टीकाकरण की सुविधाओं तक पहुंच की कमी के कारण बहुत से बच्चे इससे वंचित रह गए। इसके अलावा, आपूर्ति में रुकावट, संघर्ष और अस्थिरता के साथ-साथ टीकों के बारे में भ्रामक जानकारी भी बच्चों के टीकाकरण में बाधा बनी।
डब्ल्यूएचओ के निदेशक जनरल डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा, "टीके जिंदगियां बचाते हैं। इनकी मदद से लोग, उनके परिवार, समाज, और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि बच्चों को टीका न लगने की मुख्य वजहें हैं, पहली, सहायता में कमी और दूसरी, टीकों के प्रति गलत जानकारी का प्रसार।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2024 में वैश्विक स्तर पर बचपन के टीकाकरण का स्तर लगभग समान रहा। 2023 की तुलना में करीब 1,71,000 बच्चों को कम से कम एक टीका लगाया गया, और 10 लाख से अधिक बच्चों ने डीटीपी टीके की पूरी तीन खुराकें प्राप्त कीं।
वर्ष 2024 में दुनिया भर में 89 प्रतिशत छोटे बच्चों, यानी लगभग 11.5 करोड़ बच्चों को डीटीपी टीके की कम से कम एक खुराक दी गई। वहीं 85 प्रतिशत बच्चों, लगभग 10.9 करोड़ बच्चों ने इस टीके की तीनों खुराकें पूरी कीं।
2024 में खसरे के टीके की कवरेज में थोड़ा सुधार हुआ। 84 प्रतिशत बच्चों को खसरे का पहला टीका प्राप्त हुआ। 76 प्रतिशत बच्चों को दूसरा टीका भी मिला। ये आंकड़े 2023 से थोड़े बेहतर हैं।
2024 में लगभग 20 लाख और बच्चों को टीका लगाया गया। फिर भी, कुल मिलाकर जितने बच्चे टीका लगवाते हैं उनकी संख्या अभी भी बहुत कम है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि खसरे जैसी बीमारियों से बचाव के लिए हर जगह कम से कम 95 प्रतिशत बच्चों को टीका लगाना आवश्यक है।
यूनिसेफ की प्रमुख कैथरीन रसेल ने कहा, "अच्छी खबर यह है कि अब हम अधिक बच्चों तक टीके पहुंचाने में सफल हुए हैं। लेकिन फिर भी, लाखों बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अभी भी टीका नहीं मिला, यह हमारे लिए चिंता का विषय है।"
कैथरीन रसेल ने सरकारों से अपील की कि उन्हें अधिक प्रयास करने चाहिए ताकि ये चुनौतियाँ दूर हो सकें। अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं, टीकों के बारे में गलत जानकारी फैली हुई है, और संघर्षों के कारण टीका लगवाना कठिन हो गया है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "कोई भी बच्चा ऐसी बीमारी से मरना नहीं चाहिए, जिसका हम बचाव कर सकते हैं।"