<b>क्या गेहूं शरीर के लिए अमृत समान है? आयुर्वेद से जानें कब इसका सेवन लाभकारी है</b>
सारांश
Key Takeaways
- गेहूं एक महत्वपूर्ण अनाज है जो ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है।
- नाश्ते में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- पुराने आटे का सेवन न करें, ताजा आटा ही प्रयोग करें।
- रोटियों को घी या मक्खन के साथ खाना बेहतर है।
- दलिए का प्रयोग कर एक संपूर्ण आहार बनाया जा सकता है।
नई दिल्ली, २५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। गेहूं हमारे देश का प्रमुख अनाज है, जिसे लगभग हर घर में उपयोग किया जाता है। पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और मध्य प्रदेश गेहूं के मुख्य उत्पादक राज्य हैं, जहाँ अलग-अलग किस्म के गेहूं का उत्पादन होता है।
छोटे आकार का गेहूं फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ पाचन को भी सरल बनाता है।
आयुर्वेद में गेहूं को अमृत की उपाधि दी गई है, जो तन और मन दोनों के लिए लाभकारी माना जाता है। इसे बलवर्धक और ओज बढ़ाने वाला अनाज माना गया है। इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं, भूख लंबे समय तक नहीं लगती, और शरीर ऊर्जा से भरपूर महसूस करता है। हालांकि, उत्तर भारत के अधिकांश घरों में तीनों समय गेहूं से बनी रोटियों का सेवन किया जाता है, लेकिन यह एक गलत आदत है।
नाश्ते से लेकर लंच तक गेहूं की रोटियों का सेवन पेट से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकता है। इनका सेवन दोपहर के समय करना चाहिए, जब पाचन शक्ति तेज होती है, जबकि रात के समय इनसे परहेज करना चाहिए, क्योंकि शाम को पाचन की क्षमता कम हो जाती है।
यह समझना भी आवश्यक है कि गेहूं का आटा कैसा होना चाहिए। आटा पुराना नहीं होना चाहिए; आवश्यकतानुसार ही चक्की पर पिसवाना चाहिए, क्योंकि पुराने आटे में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
दूसरा, गेहूं के आटे से रोटियां बनाते समय चोकर नहीं निकालना चाहिए क्योंकि चोकर में फाइबर की प्रचुरता होती है, जो पाचन में सहायता करता है। कई लोग रोटियों को मुलायम बनाने के लिए चोकर निकाल देते हैं, जो कि गलत है। तीसरा, गेहूं की रोटियों को हमेशा घी या मक्खन के साथ खाना चाहिए, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ता है।
अंत में, गेहूं की रोटियों के अलावा, दलिए का भी उपयोग किया जा सकता है। गेहूं के दलिए को मूंग की दाल के साथ मिलाकर एक पौष्टिक आहार तैयार किया जा सकता है।