क्या वजन बढ़ने, मूड खराब होने और नींद न आने का कारण शरीर में विटामिन की कमी है?
सारांश
Key Takeaways
- विटामिन डी शरीर के लिए आवश्यक है।
- धूप में समय बिताना महत्वपूर्ण है।
- संतरे का जूस और ओट्स विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं।
- संतुलित खानपान से शरीर में विटामिन डी की कमी को पूरा किया जा सकता है।
- आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान तेज रफ्तार जीवन में, लोग घंटों तक स्क्रीन के सामने काम कर रहे हैं। इस कारण से, कई लोगों को एक सामान्य समस्या का सामना करना पड़ रहा है, और वह है वजन बढ़ना।
कई लोग डाइटिंग और व्यायाम करने के बावजूद वजन कम नहीं कर पाते। इसका कारण केवल खानपान या जीवनशैली नहीं है, बल्कि शरीर में आवश्यक पोषक तत्व विटामिन डी की कमी भी हो सकती है।
आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों का मानना है कि शरीर का संतुलन तभी बना रहता है जब उसमें सूर्य की ऊर्जा सही मात्रा में पहुंचती है। विटामिन डी वास्तव में उसी ऊर्जा का एक रूप है, जो हमारे शरीर को सूरज की रोशनी से मिलती है। इसे 'सनशाइन विटामिन' भी कहा जाता है, क्योंकि यह हमारी त्वचा पर पड़ने वाली धूप से बनता है।
जब शरीर में इसकी कमी होती है, तो केवल हड्डियां ही नहीं, बल्कि पूरा मेटाबॉलिज्म प्रभावित होता है। इस कमी के कारण वजन बढ़ना, थकान, नींद में कमी और बार-बार भूख लगने जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, विटामिन डी शरीर में सेरोटोनिन नामक हार्मोन को नियंत्रण में रखता है। सेरोटोनिन हमारे मूड और भूख दोनों पर प्रभाव डालता है। जब इसकी मात्रा कम होती है, तो नींद में कठिनाई, मूड में परिवर्तन और अत्यधिक खाने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है।
यही ओवरईटिंग धीरे-धीरे मोटापे का कारण बन जाती है। इसके अलावा, विटामिन डी की कमी से इंसुलिन का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे शरीर में वसा जमा होने लगता है और वजन कम करना और मुश्किल हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में 'अग्नि' यानी पाचन शक्ति कमजोर होती है, तो विषैले तत्व बनते हैं जो शरीर में जमा होकर मोटापा और आलस्य बढ़ाते हैं। सूर्य की रोशनी इस 'अग्नि' को प्रज्वलित करती है, जिसका मतलब है कि धूप हमारे शरीर की नैसर्गिक ऊर्जा को जगाती है। इसलिए, प्राचीन वैद्य सुबह-सुबह सूर्य स्नान की सलाह देते थे। सूरज की हल्की किरणें न केवल शरीर में विटामिन डी बढ़ाती हैं, बल्कि मानसिक स्फूर्ति भी देती हैं।
यदि शरीर में विटामिन डी की कमी बढ़ जाए, तो इसके लक्षण धीरे-धीरे सामने आते हैं। लगातार थकान, हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द, बालों का झड़ना, या बार-बार मूड बदलना, ये सभी संकेत हो सकते हैं कि शरीर इस ऊर्जा से वंचित है। कई बार लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और सोचते हैं कि यह केवल तनाव या नींद की कमी का परिणाम है, जबकि असली कारण विटामिन डी की कमी हो सकती है।
इस कमी को दूर करने के लिए यह जानना जरूरी है कि क्या करना चाहिए। धूप में कुछ समय बिताना सबसे आसान तरीका है, लेकिन यह ही पर्याप्त नहीं है। शरीर को यह विटामिन बनाने के लिए सही खानपान भी आवश्यक है। संतरे का जूस और ओट्स जैसे अनाज भी विटामिन डी के अच्छे स्रोत हैं। आयुर्वेद में इसके साथ तिल का तेल, आंवला और अश्वगंधा जैसे औषधीय पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।