क्या पेट दर्द की समस्या से हैं परेशान? इन आयुर्वेदिक उपायों से मिलेगा आराम
सारांश
Key Takeaways
- आयुर्वेद से पेट दर्द के लिए कई प्रभावी उपाय उपलब्ध हैं।
- गुनगुना पानी पीने से पाचन में सुधार होता है।
- हल्का और सुपाच्य भोजन पेट दर्द में मदद करता है।
- तनाव प्रबंधन भी पेट दर्द को कम कर सकता है।
- आयुर्वेदिक चूर्ण का सेवन हमेशा वैद्य की सलाह से करें।
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पेट दर्द एक आम समस्या है जो कई लोगों को परेशान करती है। कभी यह गैस के कारण होता है, कभी बदहजमी के चलते, और कभी कब्ज से। आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर में आम (टॉक्सिन) और वात दोष बढ़ जाते हैं, तो पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और पेट में दर्द, ऐंठन या जलन जैसी समस्याएँ शुरू हो जाती हैं। इसलिए, पेट दर्द से राहत पाने के लिए अग्नि (पाचन शक्ति) को संतुलित रखना आवश्यक है।
पेट दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे बासी खाना खाना, लंबे समय तक खाली पेट रहना, तली-भुनी चीजें खाना या मानसिक तनाव। कई लोग खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाते हैं या बार-बार चाय, कॉफी और ठंडा पानी पीते हैं, जिससे गैस और बदहजमी बढ़ जाती है।
आयुर्वेद में पेट दर्द को तीन प्रकार में वर्गीकृत किया गया है: पहला वातज उदरशूल, जिसमें गैस और मरोड़ होती है। दूसरा पित्तज उदरशूल, जिसमें पेट में जलन और खट्टे डकार आते हैं और तीसरा कफज उदरशूल, जिसमें भारीपन और मतली महसूस होती है।
हर तरह के दर्द के लिए आयुर्वेद में अलग-अलग नुस्खे बताए गए हैं। सबसे सरल और प्रभावी घरेलू उपाय है अजवाइन और काला नमक। एक चम्मच अजवाइन में चुटकीभर काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ पीने से गैस और मरोड़ तुरंत शांत होती है।
इसी तरह हींग पानी भी लाभकारी है। चुटकीभर हींग को गुनगुने पानी में मिलाकर पीएं, यह वात को संतुलित करता है। यदि पेट में जलन या बदहजमी है तो अदरक का रस और शहद मिलाकर लें, यह पाचन को सुधारता है। पेट पर हल्का गर्म तौलिया सेंक देने से भी ऐंठन में आराम मिलता है।
सौंफ की चाय भी पेट दर्द की एक प्राकृतिक दवा है। एक चम्मच सौंफ को पानी में उबालकर हल्का गुनगुना पीएं। यह गैस और भारीपन को कम करता है।
अगर दर्द बार-बार होता है, तो कुछ आयुर्वेदिक दवाएं भी मददगार हैं, जैसे हिंगवाष्टक चूर्ण (गैस और मरोड़ के लिए), त्रिफला चूर्ण (कब्ज के लिए) और अविपत्तिकर चूर्ण (पित्त संतुलन के लिए)। इनका सेवन हमेशा वैद्य की सलाह से करें।
इन उपायों के साथ ही जीवनशैली में कुछ बदलाव भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। रोज सुबह गुनगुना पानी पीएं, हल्का और सुपाच्य भोजन करें और खाना खाने के बाद 100 कदम चलने की आदत डालें। इसके अलावा, बहुत ठंडी या तली चीजों से परहेज करें और तनाव से दूर रहें।