क्या पीएम मोदी ने क्यूबा में सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था में आयुर्वेद को शामिल करने की सराहना की?

सारांश
Key Takeaways
- क्यूबा में आयुर्वेद की मान्यता
- द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा
- डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में रुचि
- स्वास्थ्य सेवा में सहयोग
- ग्लोबल साउथ में सहयोग
रियो डी जेनेरियो, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ब्राजील में आयोजित 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डिआज-कैनेल बरमूडेज से भेंट की। इससे पहले, 2023 में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी इनकी मुलाकात हुई थी, जब क्यूबा को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्यूबा के राष्ट्रपति के साथ चर्चा के दौरान, क्यूबा द्वारा आयुर्वेद को मान्यता देने के लिए धन्यवाद दिया और क्यूबा की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में आयुर्वेद को समाहित करने के लिए सहयोग का आश्वासन दिया।
उन्होंने क्यूबा द्वारा भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता देने का भी सुझाव दिया, जिससे भारतीय जेनेरिक दवाओं की पहुंच बेहतर हो सकेगी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर, पीएम मोदी ने लिखा, "क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डिआज-कैनेल बरमूडेज से मिलना एक अद्भुत अनुभव था। हमारी बातचीत में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। भविष्य में हमारे देशों के बीच आर्थिक संबंधों में व्यापक वृद्धि की संभावना दिखाई देती है। स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भी आशाजनक अवसर हैं। क्यूबा में आयुर्वेद की बढ़ती स्वीकार्यता निस्संदेह एक महत्वपूर्ण विकास है। हमने आपदा प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।"
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में जानकारी दी कि दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग, विकास साझेदारी, फिनटेक, क्षमता निर्माण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की।
डिजिटल क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता को स्वीकार करते हुए, क्यूबा के राष्ट्रपति ने भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और यूपीआई में रुचि दिखाई।
उन्होंने स्वास्थ्य, महामारी और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर ग्लोबल साउथ के लिए सहयोग पर सहमति व्यक्त की। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों के बीच सहयोग की सराहना की गई।
आयुर्वेद, जो भारत का एक प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है, 5,000 साल पुराना है और इसे अथर्ववेद का 'उपवेद' माना जाता है।
ऋग्वेद में औषधीय प्रयोजनों के लिए जड़ी-बूटियों के उपयोग का उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद शब्द दो भागों से मिलकर बना है, 'आयु' (जीवन) और 'वेद' (विज्ञान)।