क्या रात में हल्की रोशनी भी दिल के लिए खतरनाक है?
सारांश
Key Takeaways
- रात की हल्की रोशनी दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती है।
- शोध में ब्रेन इमेजिंग और सैटेलाइट डाटा का उपयोग किया गया।
- नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है यदि रात में रोशनी होती है।
- रात में अंधेरा रखना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
- भविष्य में बड़े पैमाने पर शोध की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नई रिसर्च में एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष साझा किया है। उनका कहना है कि रात के समय की हल्की रोशनी भी निरंतर संपर्क में रहने से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। यह अध्ययन भले ही छोटा है, लेकिन इसके परिणाम अत्यंत गंभीर और स्थायी माने जा रहे हैं। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि रात की रोशनी का हमारे दिमाग और नींद के पैटर्न पर प्रभाव अभी तक उतनी गंभीरता से नहीं समझा गया।
3 नवंबर, 2025 को प्रकाशित इस रिसर्च में शोध टीम ने दो तरीके अपनाए: पहला ब्रेन इमेजिंग और दूसरा सैटेलाइट डाटा। इससे यह मापा गया कि प्रतिभागियों के क्षेत्र में रात के समय कितनी रोशनी रहती है।
इन आंकड़ों को मिलाकर वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों के आसपास रात में ज्यादा रोशनी होती है, उनके दिल पर अधिक दबाव पड़ता है, और लंबे समय में हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ता है।
रिसर्च का तर्क यह है कि हमारा शरीर एक प्राकृतिक सर्केडियन रिद्म पर निर्भर करता है, जो दिन और रात की रोशनी द्वारा नियंत्रित होता है। यदि रात में रोशनी हो, चाहे वह स्ट्रीट लाइट की हल्की चमक हो, कमरे में जलता नाइट लैम्प हो, मोबाइल स्क्रीन की रोशनी हो या पड़ोस की सफेद रोशनी, ये सभी चीजें दिमाग को भ्रमित करती हैं। इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है, हार्मोन असंतुलित होते हैं, और दिल पर निरंतर दबाव पड़ता है।
हार्वर्ड की टीम ने यह भी पाया कि जिन व्यक्तियों के दिमाग में तनाव से जुड़े हिस्सों की गतिविधि ज्यादा थी, वे वही लोग थे जो रात में अधिक कृत्रिम रोशनी के संपर्क में थे। इस संबंध को सैटेलाइट डाटा से जोड़कर देखा गया, और पाया गया कि जिन क्षेत्रों में रात में उजाला अधिक था, वहां हृदय रोगों के संकेत भी ज्यादा मिले।
शोधकर्ता बताते हैं कि समस्या केवल तेज रोशनी की नहीं है। हल्की, मामूली रोशनी भी लंबे समय में नुकसान कर सकती है। यह स्थिति वैसी ही है जैसे रोज कुछ बूंदें जहरीला पानी पीने का तुरंत असर नहीं दिखता, लेकिन समय के साथ स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अध्ययन सीमित था और भविष्य में बड़े पैमाने पर शोध की आवश्यकता है। लेकिन प्रारंभिक परिणाम इतने महत्वपूर्ण हैं कि दिनचर्या में सावधानी बरतनी चाहिए। टीम ने कुछ सुझाव भी दिए हैं।
सलाह दी गई है कि रात में कमरे को जितना संभव हो सके अंधेरा रखें। बेडरूम में मोबाइल स्क्रीन, लैपटॉप और टीवी से बचें। यदि नाइट लैम्प का उपयोग आवश्यक हो, तो बहुत हल्की और गर्म (पीली) रोशनी का प्रयोग करें। बाहर की स्ट्रीट लाइट की चमक को रोकने के लिए मोटे पर्दे लगाएं।
दिल की बीमारी को सामान्यतः खान-पान, तनाव, धूम्रपान और बैठकर काम करने वाली जीवनशैली से जोड़ा जाता है। लेकिन यह शोध दिखाता है कि नींद के माहौल में रोशनी भी एक महत्वपूर्ण, छिपी हुई वजह हो सकती है।