क्या शतावरी हर स्त्री के लिए आयुर्वेद का वरदान है?

सारांश
Key Takeaways
- शतावरी महिलाओं के लिए एक प्राकृतिक औषधि है।
- यह हार्मोन संतुलन में मदद करती है।
- शतावरी का सेवन पाचन में सुधार लाता है।
- यह मासिक धर्म के दर्द को कम करती है।
- शतावरी का काढ़ा तनाव को कम करता है।
नई दिल्ली, 14 जून (राष्ट्र प्रेस)। वर्तमान में, जहां PCOS, अनियमित माहवारी, हार्मोनल असंतुलन और बांझपन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं, वहां शतावरी महिलाओं के लिए एक प्राकृतिक औषधीय वरदान मानी जाती है। संस्कृत में इसका अर्थ है "सौ पतियों वाली", जो प्रजनन स्वास्थ्य पर इसकी प्रभावशीलता को दर्शाता है। आयुर्वेद में इसे महिलाओं की "रानी औषधि" कहा गया है।
इसके अद्भुत गुण न केवल हार्मोन संतुलन को सुधारते हैं, बल्कि शरीर को संपूर्ण रूप से पोषण भी प्रदान करते हैं। यह एक झाड़ीदार पौधा है और मुख्य रूप से इसकी जड़ का उपयोग किया जाता है। सुश्रुत संहिता के अनुसार, इसे एक रसायन औषधि माना जाता है और इसका उपयोग विभिन्न रूपों में किया जाता है। आमतौर पर, इसका उपयोग स्तनपान बढ़ाने, गर्भाशय को स्वस्थ रखने और रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है।
चरक संहिता में, शतावरी के कुछ हिस्सों को सब्जी के रूप में खाने की सलाह दी गई है। एनआईएच की रिपोर्ट के अनुसार, शतावरी रेसमोसस लिलिएसी परिवार से संबंध रखती है और इसे अक्सर सतावर, सतमुली, और सतावरी के नाम से जाना जाता है। पौधे की सूखी जड़ों का औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
शतावरी को पाचन में सुधार, अल्सर के इलाज, और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए भी लाभकारी माना जाता है। आधुनिक अनुसंधान शतावरी को महिला प्रजनन स्वास्थ्य, हार्मोन संतुलन, और मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित करने में मददगार मानते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, शतावरी में एडाप्टोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर के तनाव को अनुकूलित करने में सहायक होते हैं। इसका सेवन मोनोपॉज के दौरान हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में भी मदद करता है।
शतावरी का काढ़ा तनाव को दूर करता है और अनिद्रा की समस्या को समाप्त करता है। आयुर्वेद में शतावरी को एनीमिया के इलाज में भी लाभकारी माना गया है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन के, विटामिन ई, विटामिन-सी, आयरन, कैल्शियम, मैंगनीज, सेलेनियम, जिंक, और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।
शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम, बवासीर, और बुखार के उपचार में बेहद लाभकारी होता है। इसकी जड़ से बने काढ़े के सेवन से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं में भी राहत मिलती है। यह पीरियड्स के दौरान दर्द, पेट में तनाव और ऐंठन में भी आराम देती है। शतावरी पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर कब्ज, वात, और जलन जैसी समस्याओं को समाप्त करती है। फिर भी, सेवन से पहले चिकित्सीय परामर्श लेना आवश्यक है।