क्या 8 आसनों और 12 चरण वाले सूर्य नमस्कार से तन-मन का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- सूर्य नमस्कार शरीर और मन के लिए फायदेमंद है।
- यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- यह तनाव और चिंता को कम करता है।
- यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- सूर्य नमस्कार से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
नई दिल्ली, 19 जून (राष्ट्र प्रेस)। यदि आप अपने शरीर को चुस्त और तंदुरुस्त रखना चाहते हैं, तो योग से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। यह न केवल तन के लिए, बल्कि मन के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसी में एक अत्यधिक प्रचलित आसन है सूर्य नमस्कार, जो शारीरिक और मानसिक तनाव से दूर रहने में सहायक होता है।
सूर्य नमस्कार एक प्राचीन योग अभ्यास है, जिसमें 8 आसनों का समावेश होता है, जिसे 12 चरणों में किया जाता है। यह मन, शरीर और आत्मा के समन्वय को बढ़ावा देता है। आयुष मंत्रालय ने सूर्य नमस्कार के लाभों और इसे सही तरीके से करने की विधि साझा की है, ताकि लोग इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकें। यह अभ्यास न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक शांति और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, सूर्य नमस्कार के अनेक लाभ हैं। यह शरीर की ताकत को बढ़ाता है, मांसपेशियों को मजबूत करता है, लचीलापन बढ़ाता है और रक्त संचार को सुधारता है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है, नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है, और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यह वजन नियंत्रण और हृदय स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। सूर्य नमaskar शरीर के सभी प्रमुख अंगों को सक्रिय करता है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
सूर्य नमस्कार को सुबह खाली पेट, सूर्योदय के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसे 8 चरणों में किया जाता है। सबसे पहले प्रणामासन में दोनों हाथ जोड़कर शांत मन से सूर्य को नमस्कार करना चाहिए। इसके बाद हस्तउत्तानासन में सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाना चाहिए और कमर को पीछे की ओर झुकाना चाहिए। फिर हस्तपादासन में सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुककर हाथों से जमीन को छूना चाहिए।
इसके बाद अश्व संचालनासन करना चाहिए, जिसमें दायां पैर पीछे की ओर और बाएं घुटने को मोड़ना चाहिए। दंडासन में दोनों पैर पीछे ले जाकर, शरीर को प्लैंक की स्थिति में रखें। अष्टांग नमस्कार के दौरान घुटने, छाती और ठुड्डी को जमीन पर टिकाना चाहिए। भुजंगासन के दौरान सांस लेते हुए छाती को ऊपर की ओर उठाना चाहिए।
सूर्य नमस्कार के दौरान अधोमुख श्वानासन यानी सांस छोड़ते हुए कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उल्टा ‘वी’ शेप बनाना चाहिए।
प्रत्येक चरण में सांस लेने-छोड़ने का ध्यान रखना चाहिए। शुरू में इसे 3 बार से ज्यादा नहीं करना चाहिए। यह अभ्यास सभी आयु वर्ग के लिए लाभकारी है, लेकिन चोट या स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्तियों को चिकित्सकीय सलाह लेने के बाद ही इसे करना चाहिए।