क्या तन नहीं, मन की देखभाल भी जरूरी है? डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को न करें नजरअंदाज

Click to start listening
क्या तन नहीं, मन की देखभाल भी जरूरी है? डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को न करें नजरअंदाज

सारांश

मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी करना बेहद खतरनाक हो सकता है। जानिए डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को पहचानने के साथ-साथ उपचार के उपायों के बारे में। यह लेख आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

Key Takeaways

  • तन और मन दोनों का स्वस्थ रहना आवश्यक है।
  • डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को पहचानना जरूरी है।
  • आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है।
  • योग और प्राणायाम मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं।
  • जीवनशैली में बदलाव से मानसिक स्थिति में सुधार संभव है।

नई दिल्ली, ११ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। शारीरिक स्वास्थ्य पर सभी का ध्यान रहता है, लेकिन मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का समाधान करने से लोग अक्सर बचते हैं। कुछ लोग तो मानसिक परेशानियों को मानने से ही इनकार कर देते हैं। हालांकि, तन और मन दोनों का स्वस्थ रहना अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए इसके लक्षणों को पहचानकर चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। इसके साथ ही, जीवनशैली में बदलाव और आहार में परिवर्तन से मानसिक स्थिति में सुधार लाना संभव है।

आयुर्वेद में भी मन की देखभाल पर जोर दिया गया है, जिसे वात दोष से जोड़ा गया है। जब शरीर में वात दोष बढ़ता है, तो मन भय और चिंता में उलझ जाता है और काम पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। वहीं, आधुनिक चिकित्सा में डिप्रेशन को सेरोटोनिन और डोपामाइन से जोड़ा जाता है, जो मस्तिष्क में खुशी का अनुभव कराते हैं। इन हार्मोनों की कमी से मन में चिंता उत्पन्न हो सकती है।

डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को पहचानना बेहद आवश्यक है। जब कोई व्यक्ति बिना किसी कारण के घबराने लगे, काम करने में अरुचि महसूस करे, या अकेले रहकर रोने का मन करे, तो यह संकेत हैं कि उसे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। अचानक दिल की धड़कन बढ़ना, भूख में कमी, और नींद में परेशानी

आयुर्वेद में डिप्रेशन और एंग्जायटी के उपचार के लिए कई जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा, ब्राह्मी, जटामांसी, शंख्सपुष्पी, तुलसी और इलायची मस्तिष्क को शांत करने, तनाव और बेचैनी को कम करने में सहायक मानी जाती हैं। इनका सेवन करने से मरीज को काफी राहत मिलती है।

डिप्रेशन और एंग्जायटी से बचाव के लिए योग और प्राणायाम भी अत्यंत लाभकारी होते हैं। इसे किसी खुली जगह जैसे छत या पार्क में शुरू करें। प्रकृति के करीब रहकर और प्राणायाम से जुड़े योगासन करने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन का स्तर सुधरता है, जिससे मानसिक दबाव कम होता है। इसके लिए सूर्य नमस्कार, भ्रामरी प्राणायाम, अनुलोम-विलोम प्राणायाम और मेडिटेशन करना बहुत फायदेमंद होता है।

Point of View

मैं मानता हूँ कि मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हमें समाज में इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए ताकि लोग इन समस्याओं का सामना कर सकें।
NationPress
11/11/2025

Frequently Asked Questions

डिप्रेशन के लक्षण क्या हैं?
डिप्रेशन के लक्षणों में बिना वजह घबराना, काम में अरुचि, अकेले रहकर रोना, भूख में कमी और नींद में परेशानी शामिल हैं।
डिप्रेशन का इलाज कैसे किया जा सकता है?
डिप्रेशन का इलाज आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों, योग और प्राणायाम द्वारा किया जा सकता है।
क्या मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है?
जी हां, मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य का।