क्या ठंडी हवा से अकड़ती मांसपेशियां बनती हैं दर्द का कारण? जानिए देसी उपायों से राहत कैसे पाएं
सारांश
Key Takeaways
- गर्म तेल से मालिश
- सिकाई से राहत
- योग और स्ट्रेचिंग का महत्व
- सही खानपान का ध्यान रखें
- मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव
नई दिल्ली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों का मौसम शरीर के लिए कई छिपी हुई समस्याएं लेकर आता है। विशेष रूप से गर्दन और कंधों में दर्द की शिकायत इस मौसम में तेजी से बढ़ती है। लोग इसे सामान्य सर्दी का प्रभाव मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन आयुर्वेद और विज्ञान दोनों का मानना है कि यदि इस दर्द पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह आगे चलकर नसों, जोड़ों और मांसपेशियों से संबंधित गंभीर समस्या बन सकता है।
ठंड के दिनों में धूप की कमी और शरीर की गतिविधियों में कमी के कारण मांसपेशियां धीरे-धीरे अकड़ने लगती हैं। इसी वजह से सुबह उठते ही गर्दन जमी हुई महसूस होती है और दिनभर कंधों में भारीपन बना रहता है। हालांकि, कुछ सरल देसी उपायों से इस दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में शरीर में वात दोष बढ़ जाता है। वात दोष का संबंध सूखापन, जकड़न और दर्द से है। ठंडी हवा शरीर में प्रवेश करके मांसपेशियों और जोड़ों को सख्त बना देती है। विज्ञान भी यह कहता है कि ठंड लगने पर शरीर की रक्त नलिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे गर्दन और कंधों तक खून का प्रवाह कम हो जाता है। जब मांसपेशियों को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो उनमें जकड़न और दर्द उत्पन्न होता है। इसलिए सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म और सक्रिय रखना बहुत आवश्यक है।
इसका एक प्रभावी उपाय है गर्म तेल से मालिश। आयुर्वेद में अभ्यंग यानी तेल मालिश को औषधि माना गया है। तिल या सरसों का तेल हल्का गर्म करके जब गर्दन और कंधों पर लगाया जाता है, तो गर्माहट सीधे मांसपेशियों तक पहुंचती है। इससे रक्त संचार तेज होता है और जमी हुई मांसपेशियां धीरे-धीरे ढीली पड़ने लगती हैं। विज्ञान के अनुसार, मालिश से नर्व एंडिंग्स सक्रिय होती हैं, जिससे दर्द के संकेत दिमाग तक कम पहुंचते हैं और राहत महसूस होती है।
इसके अलावा, सिकाई भी गर्दन या कंधों के दर्द से राहत दे सकती है। गर्दन या कंधों पर गर्म पानी की बोतल या गुनगुना तौलिया रखने से गर्मी त्वचा के जरिए अंदर जाकर रक्त प्रवाह बढ़ाती है। इससे सूजन कम होती है और मांसपेशियों को पोषण मिलता है। कुछ मामलों में हल्की ठंडी सिकाई भी मददगार होती है, क्योंकि यह सूजन को शांत करती है।
हल्की स्ट्रेचिंग और योग भी सर्दियों में बेहद आवश्यक हैं। गर्दन को धीरे-धीरे दाएं-बाएं घुमाना, ऊपर-नीचे झुकाना और कंधों को हल्का घुमाना मांसपेशियों में जमा तनाव को बाहर निकालता है। आयुर्वेद मानता है कि शरीर को स्थिर नहीं, बल्कि संतुलित गति की आवश्यकता होती है। विज्ञान के अनुसार स्ट्रेचिंग से मांसपेशियों की लंबाई और लचीलापन बढ़ता है, जिससे वे ठंड में भी आसानी से काम कर पाती हैं और दर्द की संभावना कम होती है।
खानपान भी गर्दन और कंधों के दर्द में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सर्दियों में गर्म, पका और ताजा भोजन शरीर को अंदर से ताकत देता है। अदरक और हल्दी जैसे मसाले आयुर्वेद में सूजन कम करने वाले माने जाते हैं। आधुनिक विज्ञान भी मानता है कि इनमें मौजूद तत्व शरीर में दर्द उत्पन्न करने वाले केमिकल्स को कम करते हैं, जिससे जोड़ों और मांसपेशियों को राहत मिलती है।
मानसिक तनाव भी दर्द को बढ़ा सकता है। गहरी सांस लेना और हल्का ध्यान करना दिमाग को शांत करता है। जब मन शांत होता है, तो शरीर की मांसपेशियां भी अपने आप ढीली पड़ने लगती हैं। विज्ञान कहता है कि तनाव कम होने पर शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे दर्द कम महसूस होता है।