क्या त्रिकोणासन से बेहतर ब्लड सर्कुलेशन और चमकती त्वचा पाई जा सकती है?

सारांश
Key Takeaways
- त्रिकोणासन से मांसपेशियों की मजबूती होती है।
- यह ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है।
- इससे तनाव कम होता है।
- फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि होती है।
- यह डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है।
नई दिल्ली, 15 जून (राष्ट्र प्रेस)। योग हमारे जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि मन को भी शांति प्रदान करता है। यदि आप योग की शुरुआत कर रहे हैं, तो 'त्रिकोणासन' एक उत्कृष्ट और सरल विकल्प है। इसे ट्रायंगल पोज के नाम से भी जाना जाता है। इस आसन के माध्यम से शरीर की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और तनाव भी कम होता है।
आयुष मंत्रालय की वेबसाइट और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, त्रिकोणासन हमारे शरीर को कई तरीके से लाभ पहुंचाता है। इसे करने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है, जिससे कमर और पीठ की समस्याओं में राहत मिलती है। साथ ही, यह आसन पिंडली, जांघ और कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, जिससे शक्ति और संतुलन दोनों में वृद्धि होती है।
त्रिकोणासन का प्रभाव केवल बाहरी हिस्सों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे आंतरिक अंगों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। विशेष रूप से, यह फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे श्वसन प्रणाली में सुधार होता है। जो लोग सांस की समस्या या थकान महसूस करते हैं, उनके लिए यह आसन अत्यधिक फायदेमंद हो सकता है।
त्रिकोणासन करने से त्वचा से जुड़ी समस्याओं जैसे दाने, झाइयां या रूखापन से राहत मिलती है, क्योंकि यह आसन शरीर में खून का संचार बेहतर करता है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी सहायक होता है, क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म को सक्रिय करता है और रक्त शर्करा को नियंत्रित रखता है। इसके अतिरिक्त, जो लोग लगातार तनाव या चिंता में रहते हैं, उनके लिए त्रिकोणासन एक राहत देने वाला आसन है। इसे करने से मन को शांति मिलती है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, त्रिकोणासन करने के लिए पहले सावधानी की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं। फिर एक पैर को उठाकर दूसरे से लगभग डेढ़ फुट की दूरी पर रखें, ध्यान रखें कि दोनों पैर एक सीध में हों। अब गहरी सांस लें और दोनों हाथों को कंधों के स्तर पर फैलाएं। फिर धीरे-धीरे कमर से आगे की ओर झुकें और सांस छोड़ें। अब दाएं हाथ से बाएं पैर को छुएं और बाएं हाथ को सीधे ऊपर उठाएं। गर्दन घुमाकर ऊपर उठी हथेली की ओर देखें और इस स्थिति में 2-3 सेकंड तक सांस रोकें। फिर धीरे-धीरे शरीर को सीधा करें और सांस लेते हुए सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं।
आयुष मंत्रालय ने स्लिप डिस्क, साइटिका और पेट या आंत से संबंधित किसी भी प्रकार की सर्जरी के बाद कम से कम 3 महीनों तक त्रिकोणासन न करने की सलाह दी है।