क्या अमेरिका और पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर बातचीत की?

सारांश
Key Takeaways
- अमेरिका और पाकिस्तान के बीच आतंकवाद पर वार्ता हुई।
- दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संकल्प लिया।
- बीएलए, आईएसआईएस-खोरासन और टीटीपी का उल्लेख किया गया।
- पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ सफलता की सराहना की गई।
- भविष्य में ऐसी वार्ताएँ जारी रहेंगी।
न्यूयॉर्क, १३ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका और पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर बातचीत की है। यह चर्चा मंगलवार को इस्लामाबाद में आयोजित की गई, जिसमें दोनों देशों ने आतंकवाद के सभी रूपों का सामना करने के लिए एकजुटता जताई।
बैठक में अमेरिकी विदेश विभाग के आतंकवाद-रोधी समन्वयक ग्रेगरी लोगेरफो और पाकिस्तान के विशेष सचिव नबील मुनीर मौजूद थे।
दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी करके आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ अपनी साझा प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया।
अमेरिकी प्रतिनिधि ने क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए आतंकवादी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान की निरंतर सफलता की प्रशंसा की।
बयान में तीन आतंकवादी संगठनों का उल्लेख किया गया: बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), आईएसआईएस-खोरासन, और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी)। हालाँकि, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश अल-अदल, लश्कर-ए-झांगवी, और अन्य संगठनों का उल्लेख नहीं किया गया।
यह ध्यान रखना आवश्यक है कि ९/११ के हमलों के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने शरण दी थी, जिसे २०११ में अमेरिकी नेवी सील्स ने समाप्त किया था।
वाशिंगटन में विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि उन्होंने आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।
बयान में यह भी कहा गया कि आतंकवाद का मुकाबला करने और शांति को बढ़ावा देने के लिए निरंतर और संगठित प्रयासों की आवश्यकता है।
दूसरी ओर, अमेरिका ने बीएलए और उसके सहयोगी मुजाहिद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया है।
अमेरिका ने पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाओं में नागरिकों के मारे जाने पर संवेदना व्यक्त की। इसमें बर्बर जाफर एक्सप्रेस आतंकवादी हमला और खुजदार में स्कूल बस पर बम विस्फोट जैसी घटनाएं शामिल हैं।
पाकिस्तान सरकार ने बीएलए को खुजदार में आत्मघाती हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिसमें दस नागरिक मारे गए।
बयान में यह भी कहा गया कि अमेरिका और पाकिस्तान ने सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सहयोग पर जोर दिया।
ऐसी वार्ता अमेरिका और पाकिस्तान के बीच २०२३ से हर वर्ष की जा रही है।