क्या बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 878 पत्रकारों पर हमले किए?

सारांश
Key Takeaways
- बांग्लादेश में पत्रकारों पर हमलों में 230 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- यूनुस सरकार के दौरान 195 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए।
- 167 पत्रकारों की मान्यता रद्द की गई।
- हिंसा और धमकियों का सामना 431 पत्रकारों ने किया।
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई है कि वह बांग्लादेश की सरकार पर दबाव बनाए।
नई दिल्ली, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार के तहत पत्रकारों पर दमन का सिलसिला जारी है। नई दिल्ली स्थित मानवाधिकार संगठन राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (आरआरएजी) ने सोमवार को दावा किया कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की स्थापना के बाद से पिछले एक वर्ष में 878 पत्रकारों को निशाना बनाया गया, जो कि प्रेस स्वतंत्रता पर गंभीर हमला दर्शाता है।
आरआरएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच पत्रकारों पर हमलों में 230 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल में ऐसे 383 मामले सामने आए थे।
आरआरएजी के निदेशक सुहास चकमा ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि यूनुस सरकार के दौरान पत्रकारों के खिलाफ 195 आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए, जो कि शेख हसीना सरकार के दौरान दर्ज 35 मामलों की तुलना में 558 प्रतिशत अधिक है।
उन्होंने कहा, “जहां शेख हसीना सरकार में किसी भी पत्रकार की मान्यता रद्द करने की कोई मिसाल नहीं है, वहीं यूनुस सरकार ने 167 पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी।”
रिपोर्ट में बताया गया है कि बांग्लादेश की एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग एजेंसी ने यूनुस सरकार के तहत 107 पत्रकारों को नोटिस भेजे।
रिपोर्ट में हिंसा और धमकी की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया कि जुलाई 2024 में 348 पत्रकारों को हिंसा और आपराधिक धमकियों का सामना करना पड़ा, जबकि यूनुस शासन में यह आंकड़ा 431 तक पहुंच गया।
जून 25, 2025 को डेली मातृजगत के संवाददाता खंडकार शाह आलम की हत्या कर दी गई, जो कि जेल से रिहा हुए स्थानीय अपराधी ‘टाइगर बाबुल डकैत’ द्वारा की गई प्रतिशोधात्मक कार्रवाई थी।
जुलाई 27, 2025 को ढाका की साइबर ट्राइब्यूनल ने बांग्लादेश प्रतिदिन के संपादक नायम निज़ाम, प्रकाशक मैनाल हुसैन चौधरी और बांग्ला इनसाइडर के मुख्य संपादक सैयद बोरहान कबीर के खिलाफ डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (डीएसए) के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी किए, जबकि सरकार के विधि सलाहकार असिफ नज़रूल पहले ही 27 जून को सभी डीएसए मामलों को वापस लेने की घोषणा कर चुके थे।
आरआरएजी ने कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से ब्रिटेन की ह्यूमन राइट्स जॉइंट कमेटी से अपील करेगा कि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को दिए जा रहे सहयोग की समीक्षा करे और मीडिया पर लगाम लगाने के कारण द्विपक्षीय समर्थन को वापस लेने पर विचार करे।