क्या बांग्लादेश के पूर्व सीजीआई खैरुल हक को गिरफ्तार किया गया?

सारांश
Key Takeaways
- एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी ने बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव बढ़ाया है।
- उन पर न्यायपालिका को कमजोर करने के आरोप हैं।
- पूर्व मुख्य न्यायाधीश की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- गिरफ्तारी के पीछे की राजनीतिक वजहें भी महत्वपूर्ण हैं।
- जुड़े हुए वकीलों का मंच बीजेएएफ इस गिरफ्तारी की मांग कर रहा था।
ढाका, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। गुरुवार सुबह बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एबीएम खैरुल हक को उनके धनमंडी स्थित निवास से गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) द्वारा की गई है।
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, डीबी के संयुक्त आयुक्त मोहम्मद नसीरुल इस्लाम ने कहा कि एबीएम खैरुल हक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। उन्हें पूछताछ के लिए मिंटो रोड स्थित डीबी मुख्यालय ले जाया गया है। अभी गिरफ्तारी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।
खैरुल हक ने वर्ष २०१० में देश के १९वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण किया। अनिवार्य सेवानिवृत्ति आयु ६७ वर्ष होने के कारण वह पिछले वर्ष सेवानिवृत्त हुए।
उन्हें वर्ष २०१३ में तीन साल के कार्यकाल के लिए लॉ कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया था और इसके बाद उन्हें कई बार पुनः इस पद पर नियुक्त किया गया।
यह उल्लेखनीय है कि इस वर्ष अप्रैल के अंत में, बीएनपी समर्थक वकीलों के एक मंच, बांग्लादेश जातीयताबादी ऐनजीबी फोरम (बीजेएएफ) ने पूर्व एबीएम खैरुल हक की गिरफ्तारी और मुकदमे की मांग की थी। बीएसएस न्यूज एजेंसी के अनुसार, उन पर देश की न्यायपालिका और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप है।
बीजेएएफ के अध्यक्ष एडवोकेट जैनुल आबेदीन ने एक लिखित बयान में कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने न्यायपालिका के सीधे समर्थन से एक फासीवादी शासन स्थापित किया था। अगर न्यायपालिका ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरी तरह से निभाया होता, तो लोकतंत्र को नष्ट नहीं किया जा सकता था।
एडवोकेट जैनुल आबेदीन ने खैरुल हक को न्यायिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक शासन के पतन का मुख्य जिम्मेदार बताते हुए कहा कि इतनी बड़ी तबाही के केंद्र में रहने के बावजूद, न तो उन्हें गिरफ्तार किया गया और न ही उन पर कोई कानूनी कार्रवाई हुई। इसके बावजूद, उन्हें जवाबदेह ठहराना बांग्लादेश की जनता की एक प्रमुख मांग बनी हुई है।