क्या बांग्लादेश में महिलाओं के प्रति दोहरा रवैया है? यूनुस सरकार की आलोचना

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क्या बांग्लादेश में महिलाओं के प्रति दोहरा रवैया है? यूनुस सरकार की आलोचना

सारांश

ढाका विश्वविद्यालय की प्रोफेसर समीना लुत्फा ने बांग्लादेश में पुरुष-प्रधान निर्णय प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं के मुद्दों को नजरअंदाज करने पर चिंता जताई है। क्या यह स्थिति बांग्लादेश में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए खतरा है?

Key Takeaways

  • महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण जरूरी है।
  • पुरुष-प्रधान निर्णय प्रक्रिया को समाप्त करना होगा।
  • राजनीतिक दलों को महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
  • सरकार की जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं के साथ खड़ी हों।
  • आने वाले चुनाव में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

ढाका, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। ढाका विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर समीना लुत्फा ने शनिवार को बांग्लादेश में पुरुष-प्रधान निर्णय प्रक्रिया की कड़ी आलोचना की।

संसद में महिलाओं की सीटों और राजनीतिक सशक्तिकरण विषय पर आयोजित गोलमेज बैठक में लुत्फा ने कहा, “जब पार्टियां आयोग की बैठकों में जाती हैं, तो पूरा लड़कों का क्लब वहां मौजूद होता है। सभी पुरुष मिलकर यह तय कर रहे हैं कि महिलाओं का भविष्य क्या होगा। क्या यह मछली बाजार में सौदेबाजी की तरह नहीं है? पुरुष यह तय करेंगे कि महिलाएं राजनीति में कैसे प्रवेश करेंगी। इससे बड़ा हास्यास्पद क्या हो सकता है?”

उन्होंने कहा, “मानवाधिकार के दृष्टिकोण से पार्टियां इस मुद्दे को समझने में पूरी तरह असफल रही हैं। मुझे लगता है कि बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियों ने एक ऐतिहासिक गलती की है। सभी ने बेहद रूढ़िवादी रुख अपनाया है और इसकी जिम्मेदारी उन्हें उठानी होगी।”

लुत्फा ने यह भी कहा कि महिलाओं के मामलों के आयोग की रिपोर्ट और उसके प्रस्तावों पर राष्ट्रीय सर्वसम्मति आयोग की दूसरी दौर की वार्ता में कोई चर्चा नहीं हुई। इसे उन्होंने “बेहद गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया।

उन्होंने कहा, “सरकार ने महिला आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी थी और उन्होंने अपना कार्य किया, लेकिन जब उन पर हमला हुआ, तब सरकार की चुप्पी ने यह साबित कर दिया कि वे वास्तव में महिलाओं के साथ नहीं हैं, बल्कि उन लोगों के साथ हैं जो महिलाओं के आंदोलन और प्रगति को रोकना चाहते हैं।”

इस बीच, बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ए एम एम नसीरुद्दीन ने शनिवार को कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) “कई चुनौतियों” के बीच सीमित समय में आगामी आम चुनाव कराने की तैयारी कर रहा है।

रंगपुर जिला क्षेत्रीय कार्यालय में राष्ट्रीय चुनाव को लेकर आयोजित विचार-विनिमय बैठक में सीईसी ने कहा, “चुनावी व्यवस्था में जनता का भरोसा बहाल करना अब सबसे बड़ी चुनौती है। लोग व्यवस्था पर से विश्वास खो चुके हैं। उन्हें फिर से मतदान केंद्रों तक लाना एक बड़ा कार्य होगा।”

उन्होंने कहा कि चुनाव की तारीख शेड्यूल घोषित होने से दो महीने पहले जनता को बता दी जाएगी।

गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में, बांग्लादेश के कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस द्वारा आम चुनाव की तारीख को लेकर किए गए ऐलान पर अलग-अलग राय व्यक्त की थी।

जहां बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने रमजान से पहले चुनाव कराने के फैसले का स्वागत किया, वहीं नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) ने निष्पक्ष और स्वीकार्य चुनाव कराने पर संदेह जताया।

पिछले साल हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक सरकार को हटाए जाने के बाद से बांग्लादेश में अगले आम चुनाव को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। यूनुस के साथ मिलकर हसीना को हटाने वाले दल अब सुधार प्रस्तावों और चुनाव के समय को लेकर आपस में टकरा रहे हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश में महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। राजनीतिक दलों को अपने रूढ़िवादी दृष्टिकोण को छोड़कर महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करना होगा। यह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि देश की प्रगति के लिए भी आवश्यक है।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

बांग्लादेश में महिलाओं के अधिकारों की स्थिति क्या है?
बांग्लादेश में महिलाओं के अधिकारों की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है, खासकर राजनीतिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में।
क्या राजनीतिक दल महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं?
नहीं, कई राजनीतिक दल महिलाओं के मुद्दों को नजरअंदाज कर रहे हैं, जो चिंताजनक है।
सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
सरकार को महिला आयोग की रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।