क्या भारत ने अमेरिकी टैरिफ पर ठोस जवाब दिया, क्रेमलिन का बयान क्या है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने अमेरिकी टैरिफ की धमकी का ठोस जवाब दिया।
- क्रेमलिन ने भारत का समर्थन किया।
- भारत ने अमेरिकी दोहरे रवैये की पोल खोली।
- रूसी मीडिया ने भारत के स्टैंड की प्रशंसा की।
- भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने का संकल्प लिया।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की दी गई धमकी का प्रभावी जवाब दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे अनुचित और तर्कहीन बताया। भारत के इस दृढ़ स्टैंड की रूसी मीडिया ने सराहना की है। अमेरिकी टैरिफ को पाखंडपूर्ण नीति करार देते हुए क्रेमलिन ने भी भारत का समर्थन किया है।
क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने इस बारे में कहा कि हर संप्रभु देश को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार है।
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों को धमकी बताया और कहा, "हम कई ऐसे बयान सुनते हैं जो असल में धमकियां हैं, जिनसे देशों को रूस के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। हम इन बयानों को कानूनी नहीं मानते।"
रूसी मीडिया ने रणधीर जायसवाल के बयान को प्रमुखता से प्रकाशित किया। रशिया टुडे ने शीर्षक दिया- रूस के तेल व्यापार पर भारत का पश्चिमी देशों पर पलटवार।
इस लेख में ट्रंप के प्रति भारत के जवाब का उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के दोहरे रवैये को उजागर किया है और आंकड़े प्रस्तुत किए हैं कि यूरोपीय यूनियन और अमेरिका मास्को के साथ व्यापार कर रहे हैं और अन्य देशों पर अन्यायपूर्ण प्रतिबंध लगा रहे हैं।
इसके बाद उन 6 प्वाइंट्स का जिक्र है जिनके आधार पर रणधीर जायसवाल ने भारत के स्टैंड को स्पष्ट किया है।
सोमवार को भारत ने ट्रंप को आईना दिखाया। उनकी धमकी को अनुचित और तर्कहीन बताकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'अमेरिका अब भी रूस से अपने परमाणु उद्योग के लिए यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता है।'
उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। इसके लिए हमें निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है।
प्रवक्ता ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया, "यूरोपीय संघ ने 2024 में रूस के साथ 67.5 अरब यूरो का माल और 2023 में 17.2 अरब यूरो का सेवा व्यापार किया था। यह मास्को के साथ भारत के कुल व्यापार से कहीं अधिक है। पिछले वर्ष यूरोपीय देशों ने रूसी तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) का आयात भी रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुंचा, जिसमें ऊर्जा के अलावा उर्वरक, रसायन, इस्पात और मशीनरी का व्यापार शामिल था।"
भारत ने यह भी कहा कि अमेरिका रूस से कई प्रमुख वस्तुओं का आयात जारी रखे हुए है, जिनमें परमाणु संयंत्रों के लिए यूरेनियम, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पैलेडियम, और विभिन्न रसायन एवं उर्वरक शामिल हैं।
इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि यदि मास्को यूक्रेन के साथ एक बड़े शांति समझौते पर सहमत नहीं होता, तो रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगा दिए जाएंगे।