क्या भारत ने श्रीलंका में आपदा प्रभावित लोगों की मदद के लिए बड़ा कदम उठाया है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने श्रीलंका में फील्ड हॉस्पिटल स्थापित करने का निर्णय लिया है।
- तूफान दित्वाह के कारण 474 लोगों की मौत हो चुकी है।
- 1.58 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
- श्रीलंका में 215 गंभीर लैंडस्लाइड की रिपोर्ट है।
- पुनर्प्राप्ति के लिए फंड बनाया जाएगा।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। श्रीलंका में तूफान दित्वाह के कारण व्यापक नुकसान हुआ है। इस संकट के समय, भारत अपने पड़ोसी देश की सहायता के लिए तत्पर है। श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने बुधवार को बताया कि हेल्थकेयर सेवा प्रदान करने के लिए भारत एक फील्ड हॉस्पिटल स्थापित कर रहा है।
भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी साझा की, "भारत श्रीलंका में एक आवश्यक और त्वरित फील्ड हॉस्पिटल भेज रहा है, जिसमें 70 स्टाफ सदस्य होंगे। यह आपदा प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगा। हॉस्पिटल के डिजाइन की तस्वीरें भी साझा की गई हैं।
न्यूज एजेंसी सिन्हुआ ने डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर (डीएमसी) के हवाले से बताया कि दित्वाह के कारण श्रीलंका में मरने वालों की संख्या बढ़कर 474 हो गई है। डीएमसी ने यह भी कहा कि 356 लोग अभी भी लापता हैं, और देशभर में 448,817 परिवारों के 1.58 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। 971 घर पूरी तरह नष्ट हो गए हैं और 40,000 से अधिक घरों को आंशिक नुकसान हुआ है।
श्रीलंका के नेशनल बिल्डिंग रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ने सात जिलों में 215 गंभीर लैंडस्लाइड की सूचना दी है। भूविज्ञानी लक्सिरी इंद्रतिसा ने कहा कि बार-बार चेतावनियों के बावजूद कुछ लोगों के घर खाली न करने के कारण अधिक मौतें हुईं।
सिन्हुआ के अनुसार, श्रीलंका की कैबिनेट ने दित्वाह से हुए भारी नुकसान के बाद देश में पुनर्प्राप्ति प्रयासों के लिए एक फंड बनाने को मंजूरी दी है। इसके अनुसार, "रीबिल्डिंग श्रीलंका" फंड को राष्ट्रपति भवन सचिवालय के तहत एक कानूनी इकाई के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसकी प्रबंधन समिति में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
इसके अतिरिक्त, श्रम मंत्री और वित्त एवं योजना के उपमंत्री अनिल जयंता फर्नांडो को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। समिति को फंड के संचालन को प्रबंधित करने, पुनर्प्राप्ति की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करने, प्राथमिकता तय करने, संसाधन देने और स्वीकृत योजनाओं के लिए फंड वितरित करने का अधिकार होगा। यह प्रबंधन और ऑडिटिंग के साथ-साथ सभी वित्तीय प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।