ब्रिटेन पीएम और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री के भारत दौरे से क्या लाभ होगा?

सारांश
Key Takeaways
- ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में वृद्धि की संभावना।
- अफगानिस्तान के साथ संवाद से सुरक्षा में सुधार।
- शैक्षणिक सहयोग से शिक्षा में सुधार की संभावनाएं।
नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर दो दिवसीय भारत दौरे पर आए हैं। पीएम स्टार्मर के इस दौरे से दोनों देशों को उल्लेखनीय लाभ होने की संभावना है। इसके अलावा, अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भी भारत में हैं। इस बीच, रिटायर्ड ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने राष्ट्र प्रेस से साझा किया कि इन नेताओं के भारत आगमन से क्या सकारात्मक परिणाम सामने आ सकते हैं।
हेमंत महाजन ने कहा, "ब्रिटेन हमारे लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है। हमारे बीच व्यापारिक समझौतों की स्थापना हुई है, और यह आवश्यक है कि हम इसे सही तरीके से लागू करें। हमारे और ब्रिटेन के बीच 65 अरब डॉलर का व्यापार है, जो आगे बढ़ेगा, तो यह दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा। पीएम स्टार्मर के साथ कई प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान, जैसे ऑक्सफोर्ड, भी आए हैं। यदि वे अपनी विश्वस्तरीय शाखाएं हमारे देश में स्थापित करते हैं, तो हमें इंग्लैंड जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे हमारी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि आज ब्रिटेन की ज़मीन का प्रयोग खालिस्तानीब्रिटेन के पीएम से स्पष्ट किया है कि चाहे खालिस्तानीभारत
हेमंत महाजन ने बताया, "यह एक बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण घटना है। तालिबान के विदेश मंत्री हमारे देश में आए हैं और हमारे विदेश मंत्री से मिले हैं। हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार उनसे मिलने वाले हैं। तालिबान के साथ यह एक महत्वपूर्ण विकास है, क्योंकि कई बार अफगानिस्तान की ज़मीन का उपयोग पाकिस्तान ने भारत
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी बात यह है कि इस क्षेत्र में चीन भी काफी सक्रिय है। चीन हमारे खिलाफ अफगानिस्तान की धरती से साजिश न करे, इसलिए हम अफगानिस्तान का उपयोग कर सकते हैं। कोई भी देश जो भारत के खिलाफ कार्रवाई करता है, उस पर नज़र रखने के लिए अफगानिस्तान से हमें मदद मिल सकती है। तीसरी बात यह है कि जब तालिबान का शासन वहां आया, तो पाकिस्तान इसका उपयोग करने के बारे में सोच रहा था। इसलिए यदि तालिबान हमारे साथ रहेगा, तो यह हमारे लिए लाभकारी होगा।
जैश-ए-मोहम्मद ने 'जमात-उल-मोमिनात' नामक अपनी पहली महिला ब्रिगेड की स्थापना की घोषणा की। इस पर उन्होंने कहा, "देखिए, जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ था, तब जैश-ए-मोहम्मद को काफी नुकसान हुआ था। जैसे-जैसे जैश-ए-मोहम्मद के रिक्रूट्स की संख्या में कमी आ रही है, शायद इसी कारण महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। इतिहास में, महिलाओं ने अब तक आतंकवाद में भाग नहीं लिया है, वे केवल समर्थन के लिए रही हैं, लेकिन वे सुसाइड बम के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं।"