क्या इजराइल को गाजा में बंधक बनाए गए अपने नागरिकों के शव मिले?
सारांश
Key Takeaways
- गाजा में इजराइल के दो नागरिकों के शव मिले हैं।
- ये शव हमास द्वारा सौंपे गए थे।
- संघर्षविराम समझौते के तहत बंधकों की अदला-बदली हुई थी।
- अभी भी 28 बंधकों के शव गाजा में हैं।
- अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने बंधकों की धीमी बरामदगी पर निराशा व्यक्त की है।
यरूशलम, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। इजराइल को गाजा में दो साल से बंधक बनाए गए अपने दो नागरिकों के शव मिले हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, हमास ने मंगलवार को गाजा में रेड क्रॉस को ताबूत सौंपे, जिन्होंने उन्हें एन्क्लेव के अंदर इजरायली सेना और 'शिन बेट' सुरक्षा एजेंटों को सौंप दिया।
कार्यालय ने बताया कि वहां से शवों को इजराइल ले जाया गया। इसके बाद उन्हें तेल अवीव स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक केंद्र भेजा जाएगा, जहां उनकी पहचान और जांच की जाएगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि बंधकों को वापस लाने का प्रयास जारी है और तब तक नहीं रुकेगा जब तक आखिरी बंधक स्वदेश नहीं लौट आता।
इससे पहले मंगलवार को, राष्ट्रीय फोरेंसिक मेडिसिन केंद्र ने एक और मृतक बंधक की पहचान पूरी की, जिसका शव सोमवार रात हमास ने सौंप दिया था। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, इजरायली सेना ने उसकी पहचान ताल हैमी के रूप में की, जो गाजा के पास स्थित किबुत्ज़ नीर यित्ज़ाक समुदाय में त्वरित प्रतिक्रिया दल का कमांडर था। यह वही इलाका है जिस पर 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के दौरान हमला हुआ था।
यह शव और बंधकों की अदला-बदली उस संघर्षविराम समझौते के तहत हुई है, जो 10 अक्टूबर को लागू हुआ था। इस युद्धविराम के तहत हमास ने सभी 20 जीवित इजराइली बंधकों को रिहा कर दिया था और इजराइल ने लगभग 2,000 फिलिस्तीनी बंदियों को रिहा किया था।
इज़राइल का अनुमान है कि अब भी ग़ाज़ा में 28 बंधकों के शव मौजूद हैं। इनमें से कुछ लोगों की हत्या बंधक बनाए जाने से पहले की गई थी, जबकि कुछ की मौत कैद के दौरान हुई। अब तक हमास 15 शव लौटा चुका है।
वहीं, ताजा बयान में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने बंधकों और शवों की धीमी बरामदगी पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कुछ बंधक मलबे के नीचे दबे हुए हैं। कुछ बंधकों के बारे में तो किसी को पता ही नहीं कि वे कहां हैं।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, युद्धविराम समझौते को उल्लंघन के एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन इज़राइल और हमास दोनों ने सार्वजनिक रूप से अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।