क्या बांग्लादेश के बीएनपी ने चुनावों में 'पीआर प्रणाली' को लोकतंत्र के लिए खराब बताया?

सारांश
Key Takeaways
- बीएनपी ने आनुपातिक प्रतिनिधित्व को लोकतंत्र के लिए हानिकारक बताया।
- जुलाई चार्टर पर चर्चा जारी है।
- इस्लामी दलों का आंदोलन चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
ढाका, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने कट्टरपंथी इस्लामी दलों के संयुक्त प्रदर्शनों की तीखी आलोचना की है। पार्टी ने कहा है कि चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व (पीआर) प्रणाली जैसी मांगें 'लोकतंत्र के लिए हानिकारक' हैं।
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने गुरुवार शाम को सिंगापुर से लौटने के बाद ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पत्रकारों को यह बात कही।
बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट यूएनबी के अनुसार, फखरुल इस्लाम ने कहा, "बातचीत का यह चरण समाप्त नहीं हुआ है। मेरा मानना है कि ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का उद्देश्य अनावश्यक दबाव बनाना है। इस्लामी दलों का आंदोलन न तो लोकतंत्र के लिए फायदेमंद है और न ही सही निर्णय लेने में सहायक है।"
चुनावों में आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर बीएनपी के नेता ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी इस चुनावी प्रणाली का समर्थन नहीं करती। फखरुल ने कहा, "हमारा मानना है कि बांग्लादेश में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की कोई आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में जुलाई चार्टर पर चर्चा चल रही है। हम कई मुद्दों पर सहमत हो चुके हैं और समय आने पर उन पर विचार किया जाएगा।"
आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में राजनीतिक दलों को उनके प्राप्त कुल वोट प्रतिशत के अनुरूप सीटें प्रदान की जाती हैं।
आगामी चुनावों के मद्देनजर बांग्लादेश में राजनीतिक संघर्ष बढ़ गया है। इस बीच, सात इस्लामी राजनीतिक दलों ने एक तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन करने की घोषणा की है, जिसमें जुलाई चार्टर के तहत फरवरी में राष्ट्रीय चुनाव कराने और आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली लागू करने की मांग की गई है।
इन दलों में जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, बांग्लादेश खिलाफत मजलिस, खिलाफत मजलिस, निजाम-ए-इस्लाम पार्टी, बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन और जातीय गणतंत्र पार्टी शामिल हैं।
स्थानीय मीडिया के अनुसार, इस्लामी दलों के नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि अगले चुनाव से पहले चार्टर को कानूनी आधार नहीं दिया गया तो बांग्लादेश को 'बड़ी आपदा' का सामना करना पड़ेगा।
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार पत्र 'द डेली स्टार' ने जमात के महासचिव मिया गुलाम पोरवार के हवाले से कहा, "हमने मांग की है कि आगामी चुनाव जुलाई चार्टर के कानूनी आधार पर हों, लेकिन एक पार्टी इन संवैधानिक सुधारों को अनावश्यक बताकर इसमें बाधा डाल रही है। यह लोगों की आकांक्षाओं के खिलाफ है।"
मिया गुलाम पोरवार ने ढाका में बैतुल मुकर्रम राष्ट्रीय मस्जिद के दक्षिणी द्वार पर रैली को संबोधित करते हुए कहा।
इस दौरान, मस्जिद के उत्तरी द्वार पर एक रैली में बांग्लादेश खिलाफत मजलिस के महासचिव जलालुद्दीन अहमद ने कहा, "यदि जुलाई चार्टर को लागू नहीं किया गया तो राष्ट्रीय आपदा अवश्य होगी। इसके बिना कोई भी चुनावी प्रक्रिया देश या राष्ट्र के लिए लाभकारी नहीं होगी।"
जुलाई चार्टर एक राजनीतिक घोषणा है, जो जुलाई 2024 में हुए जनआंदोलन के बाद संविधान, चुनाव और प्रशासनिक सुधारों के लिए बनाई जा रही है। यह राष्ट्रीय समझौता है, जिसमें कई राजनीतिक दल और देश की अंतरिम सरकार शामिल हैं। जुलाई जनआंदोलन के प्रभाव के दस्तावेज़ीकरण और उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों को संवैधानिक और कानूनी रूप देना इस चार्टर का मुख्य उद्देश्य है।
जिन पार्टियों ने शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए यूनुस के साथ हाथ मिला लिया था, अब वे सुधार प्रस्तावों को लेकर आपस में भिड़ गई हैं।
-राष्ट्र प्रेस
वीसी/एबीएम